Elephant and Monkey Story: दोस्तों, जिस तरह हम इंसानों में कोई छोटा तो कोई मोटा, कोई लम्बा और कोई पतला होता है। उसी तरह जानवरों में भी ये खूबियां पाई जाती हैं। जहाँ कोई जानवर बहुत बड़ा होता है, तो वहीं कोई जानवर बहुत छोटा होता है। लेकिन इस बात को लेकर हम इंसानों की तरह अक्सर जानवर भी बहस करते रहते हैं, कि आखिर उनमें सबसे बेहतर कौन है? जो आकार में बड़ा जानवर है वो? या जो छोटा है वो?
तो यहां हम आपको वहीं Hathi aur Bandar ki Kahani (हाथी और बंदर की कहानी) बताने वाले है। तो इस Bandar Aur Hathi Ki Kahani को अंत तक जरूर पढ़ें।
हाथी और बंदर की कहानी – Hathi Aur Bandar Ki Kahani
एक बार इसी बात (सबसे बेहतर कौन है? जो आकार में बड़ा जानवर है वो या जो छोटा है वो) को लेकर एक बंदर और हाथी में बहस छिड़ गई, कि आखिर उन दोनों में सबसे बेहतर कौन है? दोस्तों, आप इस बात को तो जानते ही होंगे कि हाथी दिखने में कितना बड़ा होता है? और उसमें कितनी ताकत होती है? लेकिन अगर बंदर की बात की जाए, तो बंदर दिखने में भले हीं हाथी से छोटे होते हैं,लेकिन उनमें फुर्ती बहुत ज्यादा होती है।
एक ओर जहाँ हाथी अपनी ताकत से बड़े से बड़े पेड़ को भी हिला देने की शक्ति रखता है। वहीं बंदर अपनी फुर्ती से एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर आसानी से छलांग लगा सकता है। अब इसी बात को लेकर,हाथी और बंदर में अक्सर बहस होती रहती थी। हाथी कहता “मैं बेहतर हूँ,क्योंकि मुझमें बहुत ताकत है।” वहीं बंदर कहता “मैं बेहतर हूँ,क्योंकि मुझमें बहुत फुर्ती है।”
इस बात को लेकर वे घंटों झगड़ते और आपस में देर तक बहस करते। लेकिन इतनी बहसों के बावजूद वे किसी समाधान पर नहीं पहुँच पाते। इसलिए उन्होंने इसके समाधान के लिए,उस जंगल के राजा शेर से गुहार लगाई।
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उन्होंने शेर से कहा कि “हम घंटों इस बात पार पर बहस करते हैं कि, हम दोनों में बेहतर कौन है? अब आप हीं बताइए।”
यह सुनकर शेर भी हैरत में पड़ गया और समझ गया कि,इनका मामला काफी गंभीर है। इसलिए इनकी समस्या के समाधान के लिए गंभीरता से विचार करना पड़ेगा।
काफी सोंच-विचार करने के बाद शेर ने उनसे कहा कि “इस जंगल से दूर नदी के उस पार और पहाड़ के निचे एक घाना जंगल है। उसी जंगल के बीचों बीच एक स्वर्ण का पेड़ है। जिसमें साल में एक बार एक हीं स्वर्ण का फल निकलता है। तुम दोनों में से जो भी वो फल मुझे लाकर देगा वही दूसरे से बेहतर होगा।”
शेर से मिले इस समाधान को सुन, हाथी और बंदर दोनों काफी खुश हुए। अब उन्हें एक काम मिल चुका था और इसके जरिए वे अपने आप को बेहतर साबित कर सकते थे।
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अगले हीं दिन हाथी और बंदर दोनों अपने सफर पर निकल पड़े। दोनों उस स्वर्ण के फल की खोज में आगे बढ़ने लगे। एक ओर जहाँ मदमस्त हाथी,जंगल के बड़े-बड़े पेड़ों को उखाड़ता हुआ,झाड़ियों को अपने पैरों तले कुचलता हुआ आगे बढ़ रहा था। मानों जैसे वो बंदर को अपनी शक्ति दिखा रहा हो।
वहीं दूसरी ओर बंदर,हाथी को अपनी फुर्ती दिखा रहा था। वो एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांग लगाता हुआ आगे बढ़ रहा था। इस प्रकार दोनों जानवर आगे बढ़ते चले जा रहे थे। तभी उनके सामने एक बहुत भयंकर झाड़ी आ गई और वो दोनों वहीं रुक गए। उन्हें अब ये समझ नहीं आ रहा था कि, अब इसके आगे कैसे बढ़ा जाए? तभी बंदर ने एक छलांग लगाई और पेड़ की टहनी के सहारे झाड़ के उस पार चला गया।
अपनी इस बहादुरी पर बंदर को बहुत घमंड हुआ और वो हाथी की ओर देखकर हंसने लगा। यह देख कर हाथी को काफी गुस्सा आया,क्योंकि वो बंदर जितना फुर्तीला नहीं था। इसलिए उसने अपनी सूंढ़ से उस झाड़ को तोड़ दिया और उसे अपने पैरों से कुचलता हुआ आगे बढ़ने लगा।
यह देख कर बंदर भी काफी उत्साहित हो गया और एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर कूदता हुआ,आगे बढ़ता चला गया। लेकिन बंदर की रफ़्तार तब धीमी हो गई जब उसके सामने एक बहुत बड़ी नदी आई।
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वो नदी काफी लम्बी-चौड़ी थी और उसके पानी का धार भी काफी तेज़ था। एक देख कर बंदर घबरा गया और उस नदी को पार करने की तरकीब सोंचने लगा। तभी वहां हाथी आया। वो उस नदी को देख कर बिल्कुल भी नहीं घबराया और देखते ही देखते झट से नदी को पार कर गया। हाथी का वजन काफी ज्यादा था,इसलिए वो उस नदी के भयंकर बहाव के बावजूद आसानी से नदी को पार कर गया।
यह देख बंदर फिर से उत्साहित हुआ और उसने भी नदी में छलांग लगा दी,लेकिन वो पानी के भयंकर बहाव को झेल नहीं पाया। बंदर नदी की धार के साथ बहने लगा और “बचाओ ! बचाओ !” चिल्लाने लगा।
यह देख कर हाथी को दया आ गई और उसने उस बंदर को सूंढ़ से उठाकर अपनी पीठ पर बिठा दिया। इस तरह बंदर ने भी नदी पार कर ली। नदी पार करने के बाद,वे दोनों पहाड़ से निचे उतरे और उस जंगल में जा पहुंचे जहाँ स्वर्ण का पेड़ था। जल्दी हीं उन्होंने उस पेड़ को भी खोज लिया और उन्हें वो फल भी मिल गया। लेकिन वो पेड़ काफी ऊँचा था,इस वजह से ना तो वहां तक हांथी की सूंढ़ पहुँच पा रही थी और ना हीं बंदर वहां तक छलांग लगा पा रहा था।
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वे घंटों प्रयास करते रहे,लेकिन उस फल को तोड़ नहीं पाए। तभी बंदर ने उस फल को तोड़ने की एक तरकीब निकाली और वो हांथी के ऊपर चढ़ गया। जिसके बाद उसने उस पेड़ पर छलांग लगाईं और इस तरह उन्हें स्वर्ण का फल मिला।
लेकिन तब तक वे इस बात को समझ चुके थे कि,उन दोनों की शक्तियां अलग-अलग हैं और वे एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। फिर क्या था? उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ, उन्होंने एक दूसरे से माफ़ी मांगी और ये सबक सिखाने के लिए शेर का भी शुक्रिया किया।
शिक्षा (Moral of Story)
इस हाथी और बंदर की कहानी (Hathi aur Bandar ki Kahani) से हमें ये सीख मिलती है कि, इस संसार में हर किसी की खूबियां अलग हैं और हर किसी भी ताकत भी अलग है। इसलिए हमें कभी भी किसी को खुद से कम नहीं समझना चाहिए। इस संसार में ईश्वर ने हर प्राणी को अलग बनाया है,इसलिए हमें एक दूसरे का मजाक उड़ाने के बजाए एक दूसरे का सहारा बनना चाहिए।