झूठा लड़का और भेड़िया की कहानी – The Boy Who Cried Wolf Story

The Shepherd boy and the wolf: बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से प्रेरणादायक कहानी (झूठा लड़का और भेड़िया की कहानी) Jhutha Ladka aur Bhediya ki Kahani एक ऐसी कहानी थी, जो लगभग सभी को पसंद आती थी।

The Shepherd boy and the wolf Story
Bhediya ki Kahani

तो यहां हम आपको वहीं The Boy Who Cried Wolf Story in Hindi (भेड़िया की कहानी) बताने वाले है। तो इस Bhediya ki Kahani को अंत तक जरूर पढ़ें।

झूठा लड़का और भेड़िया – The Boy Who Cried Wolf Story

बहुत समय पहले की बात है, एक बार एक गाँव में एक लड़का रहा करता था। उसका नाम गड़रिया था, जो की पास की ही पहाड़ी पर घास चरते हुए  गाँव की भेड़ों को देखकर ऊब गया था। अपना मनोरंजन करने के लिए, वह जोर-जोर से  चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया! भेड़िया भेड़ों का पीछा कर रहा है!”

जब गाँव वालों ने उसकी चीख सुनी, तो वे भेड़िये को भगाने के लिए पहाड़ी पर दौड़ते हुए आए। लेकिन, जब वे पहाड़ी पर पहुंचे, तो उन्होंने देखा की कोई भेड़िया वहां नहीं था। तभी गड़रिया उनके गुस्से वाले चेहरों को देखकर खुश हो गया। उसे यह देखकर मज़ा आ रहा था। और वह जोर-जोर से खुशी से कूदने लगा।और कहने लगा के मेने मजाक किया ।

सभी गाँव वालों ने उस लड़के को बहुत डांटा और उसको  चेतावनी दी की “भेड़िया आया भेड़िया आया मत चिल्लाओ। तभी लड़का बोला”, “जब कोई भेड़िया आया ही नहीं है!” इसके बाद वे सभी गाँव वाले गुस्से में वापस पहाड़ी से चले गए। और अपना-अपना काम करने लगे । 

अपने मनोरंजन के लिए,कुछ दिनों के  बाद में एक बार फिर से, गड़रिया लड़का  चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया! भेड़िया आया वह भेड़ों का पीछा कर रहा है!”, उसने देखा कि ग्रामीण लोग भेड़िये को डराने के लिए पहाड़ी पर दौड़ रहे हैं। यह देख वह  फिर से आनंद  में कूदने  लगा।

जब गावं वालों ने  देखा कि कोई भेड़िया नहीं आया है, तो उन्होंने सख्ती से उस लड़के को कहा-की जब कोई भेड़िया आया ही नहीं है तब उसे गावं वालों को  नहीं बुलाना चाहिए। केवल भेड़िया के आने पर ही उनको  पुकारना चाहिए।

जब वो गाँव वाले पहाड़ी से नीचे जा रहे थे, तब वह  लड़का मन ही मन मुस्कुराया। की मैंने इन गावं वालों के साथ एक मजाक किया ।

उन सभी गावं वालों के जाने के बाद में, लड़के ने एक असली में भेड़िये को अपने झुंड की  तरफ़ आते हुए देखा। घबराए हुआ , लड़का  अपने  ही पैरों पर कूद पड़ा और  वह जोर-जोर से चिल्लाया वह  जितना जोर से चिल्ला सकता था, चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया!” भेड़िया आया लेकिन गाँव वालों ने अब की बार उसकी एक न सुनी और उन्होंने  सोचा कि वह उन्हें फिर से बेवकूफ बना रहा है, और इसलिए वे मदद के लिए नहीं आए।

सूर्यास्त के समय, ग्रामीण लोग उस लड़के की तलाश में पहाड़ी पर जाने के बारे में सोचने लगे  लेकिन वह लड़का अभी तक अपनी भेड़ों के साथ लौट के नहीं आया  था। जब वे पहाड़ी पर गए, तो उन्होंने उसे रोते हुए पाया।

“यहाँ वास्तव में एक भेड़िया आया था! भेड़िया झुंड में आ  गया! मैं चिल्लाया, ‘भेड़िया!’भेड़िया आया  लेकिन तुम नहीं आए,” वह चिल्लाया, यह सब वो रोते हुए कह रहा था । परन्तु उसकी चींख सुनकर वहां कोई नहीं आया 

अब एक बूढ़ा आदमी लड़के को सांत्वना देने गया। जैसे ही उसने उसके पीठ पर अपना हाथ रखा,और उस लड़के से  कहा, “झूठे पर कोई विश्वास नहीं करता बेटा भले ही वह सच कह रहा हो!” अब उस लड़के को अपनी गलती का पछतावा (एहसास ) हुआ। 

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