कुएं का मेंढक की कहानी – Mendhak ki Kahani

Frog in The Well Story: बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से पंचतंत्र की कहानी (कुएं का मेंढक की कहानी) Mendhak ki Kahani एक ऐसी कहानी थी, जो लगभग सभी को पसंद आती थी।

तो यहां हम आपको वहीं Kuyen ka Mendhak ki Kahani (कुएं का मेंढक की कहानी) बताने वाले है। तो इस Frog Story in Hindi को अंत तक जरूर पढ़ें।

Mendhak ki Kahani

कुएं का मेंढक की कहानी – Mendhak ki Kahani

दोस्तों, यह कहानी एक समुद्र की है। एक ऐसा विशाल और खतरनाक समुद्र, जो यूं तो आम तौर पर शांत रहता था। लेकिन जब इसकी लहरें ऊपर उठती थी और इसमें तूफान आता था, तो यह अपने समुद्र के आसपास मौजूद विशाल से विशाल चीजों को नष्ट करने की ताकत रखती थी। उस समुद्र में भिन्न-भिन्न प्रकार के समुद्री जीव रहा करते थे। उसमें पानी में रहने वाले भी,अनेकों जानवर रहा करते थे।

समुद्र के अंदर बड़ी-बड़ी मछलियां थी और समुद्र के किनारो पर मेंढक रहा करते थे। जो समुद्र के पानी में अक्सर खेलकूद भी किया करते थे। समुद्र ही उनका ठिकाना था और समुद्र में ही उनका परिवार भी था। समुद्र के अंदर मेंढकों की बड़ी अच्छी खासी संख्या थी।

वे सारे मेंढक समुद्र के किनारे से कभी-कभार जमीन पर भी चले जाया करते थे। क्योंकि वे पानी में रहने के साथ-साथ जमीन पर भी रह सकते थे। इसलिए अनेकों मेंढक जमीन पर कूदते हुए पाए जाते थे।

लेकिन दोस्तों ताकत और बल का घमंड जिस प्रकार इंसानों और जानवरों को होता है। उसी प्रकार कुछ समुद्री जीवों को भी ताकत का अभिमान होता है। जिस प्रकार हम इंसानों में ताकतवर इंसान अपने से छोटे इंसान को दबाता है और जंगल में जिस प्रकार शेर जैसे खतरनाक प्राणी शाकाहारी जानवरों को डराते हैं। उसी प्रकार समुद्र में बड़ी-बड़ी मछलियां छोटे-छोटे पानी में रहने वाले जीवों को सताया करती थी और उन्हें खा जाया करती थी।

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इस एक वजह से समुद्र के रहने वाले छोटे जीव,अक्सर डर कर रहा करते थे। समुद्र में रहने वाले मेंढक भी अक्सर इसी डर से आतंकित और भयभीत रहते थे कि, कहीं कोई बड़ा समुद्री जीव आकर उन्हें खान ना जाए। लेकिन एक बार एक ऐसी ही अनहोनी हुई,एक बार एक बड़ी शार्क मछली ने समुद्र के किनारे रहने वाले छोटे जीवों पर हमला कर दिया।

शार्क के हमले से समुद्र में खलबली मच गई, उस क्षेत्र के रहने वाले सभी छोटे प्राणी इधर-उधर भागने लगे और समुद्र के किनारे बड़ी भयानक लहरें उठने लगी। शार्क मछली छोटे-छोटे जीवों को खाने लगी वह छोटी-छोटी मछलियां निगलती चली गई और इसी के साथ ही वह मेंढकों के झुंड को भी खत्म करने लगी।

इस वजह से डर कर सारे छोटे जीव इधर-उधर भागने लगे । जो जीव जमीन पर नहीं चल सकते थे,वे समुद्र में चले गए और जो जीव जमीन पर चल सकते थे वह जमीन पर भागने लगे। इसी हंगामे के बीच अनेकों मेंढक जमीन पर कूदते हुए इधर-उधर भागने लगे। कोई मेंढक भाग कर रेगिस्तान की ओर चले गए। तो कोई मेंढक भाग कर पहाड़ की ओर चले गए। तो वहीं कई मेंढक भाग कर जंगल में घुस गए।

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जंगल में घुसने के बाद कुछ मेंढक इधर-उधर भागने लगे। उनको समझ नहीं आया कि वह अब कहां जाएं । जिनमें कुछ मेंढक बिल में चले गए, तो वहीं कुछ नदी के किनारे रहने लगे। इसी तरह कुछ मेंढक लंबे समय तक नदी के किनारे रहकर अपना गुजर बसर करने लगे।

तभी उनमें से एक मेंढक को ऐसा लगा कि,उसको इस जंगल में इससे भी अच्छी जगह रहने के लिए मिल सकती है। इसलिए उसको और किसी अन्य स्थान की तलाश करनी चाहिए। इसलिए वह मेंढक नदी से निकलकर,जंगल के चारों ओर भटकने लगा और अपने रहने के लिए सही स्थान खोजने लगा। लेकिन उसे पता नहीं चला कि कब वह मेंढक जंगल से निकल कर गांव की ओर बढ़ने लगा है। गांव की ओर बढ़ते बढ़ते वह मेंढक इंसानी बस्ती तक पहुंच गया।

गांव में उस मेंढक को एक कुआं दिखाई दिया और जैसे ही वह मेंढक कुएं की मुंडेर पर चढ़ा,उसने नीचे पानी देखा। पानी देखते उसके मन में लालच आ गया और उसने सोचा क्यों ना इस पानी में रहा जाए? उसके बाद उस मेंढक ने तुरंत कुएं में छलांग लगा दी। लेकिन जैसे ही वह कुएं में कूदा,कुएं के पानी में हलचल हो गई और कुएं में मौजूद अन्य मेंढक सतर्क हो गए।

यह देखकर वह मेंढक भी चौंक गया कि इस कुएं में और भी कई सारे मेंढक मौजूद थे। इस प्रकार समुद्र से आया वह मेंढक,कुएं के मेंढकों को देखकर काफी देर तक दंग रहा।

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तभी कुएं के मेंढकों ने उससे पूछा कि, “तुम कहां से आए हो ?” तब उसने कहा कि…”मैं समुद्र से आया हूं।” लेकिन कुएं के मेंढकों ने आज तक समुद्र नहीं देखा था और ना ही उन्होंने कभी समुद्र के बारे में सुना था। इसलिए उसे समझ में नहीं आया। तभी कुएं के मेंढकों ने पूछा “यह समुद्र क्या होता है तभी उसे मेंढक ने कहा कि समुद्र बहुत बड़ा होता है और उसमें चारों ओर पानी ही पानी होता है। तुम्हारे कुएं की तरह वह बंधा हुआ नहीं होता।”

यह सुनकर कुएं के मेंढकों को यकीन ही नहीं और हुआ वह यह सोचने लगे कि,क्या कोई ऐसी भी पानी की जगह हो सकती है… जो चारों ओर से घिरी हुई हो?” वे समुद्री मेंढक की बात मानने को तैयार ही नहीं हुए। समुद्री मेंढक उन्हें बार-बार समझाता रहा, समुद्र के बारे में बताता रहा…लेकिन कुएं के मेंढकों को कुछ समझ नहीं आया।

अंत में कुएं के मेंढकों को समुद्री मेंढक की बातों पर गुस्सा आने लगा और उन्होंने उसको कुएं से भगा दिया। अंत में लौटकर समुद्री मेंढक वापस नदी में ही जाकर रहने लगा।

शिक्षा (Moral of Story)

इस कुएं का मेंढक की कहानी (Mendhak ki Kahani) से हमें यह शिक्षा मिलती है कि, जो चीज हमने देखी या सुनी नहीं होती वह अक्सर हमें झूठ लगती है। लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि,जिन चीजों के बारे में हमने पहले सुन ना हो वह सही में ना हो। इसलिए अगर कोई हमें कुछ समझता है तो उसकी बातों को ध्यान से सुनना और समझना चाहिए।

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