गणेश जी के टूटे दांत की कहानी – Ganesh Ji ki Kahani (Dharmik Kahani)

Ganesh ji ki Story दोस्तों, बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से धार्मिक कहानियाँ (गणेश जी के टूटे दांत की कहानी) एक ऐसी कहानी (Dharmik kahaniyan) थी, जो लगभग सभी को पसंद आती थी।

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।

ये पंक्तियाँ किसके लिए गायी जाती हैं, वो तो आपको पता ही होगा, लेकिन क्यों गणेश जी को एक दंत कहा जाता हैं, और उनका एक दांत कैसे और क्यों टूटा था, क्या आपको ये पता है? आइये जानते हैं विघ्नहर्ता श्री गणेश जी के एक दांत की कहानी।

तो यहां हम आपको वहीं Ganesh ji ki Kahani (गणेश जी के टूटे दांत की कहानी) बताने वाले है। तो इस Ganesh Broken Teeth Story को अंत तक जरूर पढ़ें।

Ganesh Broken Teeth Story, Ganesh Ji ki Kahani
Ganesh Ji ki Kahani

गणेश की के टूटे दांत की कहानी – Ganesh Ji ki Kahani

एक समय की बात है, कैलाश पर्वत पर, शिव जी और पार्वती जी बैठे हुए थे। तभी पार्वती जी ने शिव जी से कहा की, शिव जी के पास उनके सभी भक्तों के लिए समय हैं केवल अपनी पत्नी के लिए ही समय नहीं।

इस पर शिव जी हस पड़े और बोले, “अगर ऐसी बात हैं तो आज मेरा सारा वक्त तुम्हारा हैं, गौरी। आज मैं अपना सारा समय केवल तुम्हे ही दूंगा, और अन्य किसी को भी नहीं।”

इस पर पार्वती जी बोली, “और यदि किसीने मेरे समय में विघ्न डाल दिया तो?”

इस पर बाल गणेश दौड़ते आये और बोले, “माँ, मैं वचन देता हूँ की मैं किसीको भी आप के और पिताजी के समय में विघ्न नहीं डालने दूंगा, मैं कैलाश के बाहर जाकर पहरा दूंगा, जिस से कोई भी भीतर प्रवेश नहीं कर पायेगा।”

बाल गणेश अपने वचन के बड़े पक्के थे। वो कैलाश के बाहर पहरा देने लगे। थोड़े समय बाद, वहां परशुराम जी पहुंचे, जो अभी अभी कार्त्तवीर्य असुर का वध करके लौटे थे और शिव जी से मिलने के लिए उत्साहित थे। वो कैलाश के भीतर प्रवेश करने लगे, लेकिन बाल गणेश ने उन्हें रोक लिया और अंदर जाने की अनुमति नहीं दी।

बाल गणेश ने परशुराम को बताया कि वे वचन से बंधे हुए हैं, इसलिए किसीको भी अंदर नहीं जाने देंगे, लेकिन परशुराम मानने को तैयार नहीं थे, उन्हें बस कैसे भी करके शिव जी से मिलना था, उन्होंने गणेश जी को युद्ध के लिए चुनौती दी।

अपने वचन की पूर्ति के लिए बाल गणेश परशुराम से युद्ध करने लगे, लेकिन परशुराम बाल गणेश से युद्ध में पराजित हो गए, जिससे परशुराम और भी ज्यादा क्रोधित हो गए, उन्होंने शिव जी द्वारा दिए अपने सबसे शक्तिशाली हथियार परशु को निकाला और उससे बाल गणेश पर वार किया, युद्ध की आवाज सुनकर मां पार्वती और शिव जी बाहर आ गए और जब वे बाहर आए तो देखा कि बाल गणेश के एक दांत का आधा हिस्सा टूट गया था।

यह देखकर माता पार्वती बेहद क्रोधित हो उठी और उस समय परशुराम जी को अहसास हुआ कि उनसे बड़ी गलती हो गई है।

माता पार्वती के गुस्से को शांत करने के लिए, उन्होंने बाल गणेश को वरदान दिया कि बाकी देवताओं की खंडित मूर्तियों को अपशगुन माना जाएगा, किन्तु गणेश के टूटे हुए दांत की मूर्ति को शगुन से भरा हुआ माना जाएगा और संसार गणेश जी को “एक दंत” कहकर पुकारेगा, और इसी टूटे दांत के साथ वे सृष्टि के सबसे बड़े महाकाव्य की रचना भी करेंगे।

परशुराम के वचन सुनकर माता पार्वती का क्रोध शांत हुआ, और परशुराम शिव जी और माता पार्वती का आशीर्वाद लेकर कैलाश से प्रस्थान कर गए। उस दिन से गणेश जी को “एक दंत” के नाम से जाना जाता है, और इतना नहीं, व्यास जी के साथ उन्होंने इसी टूटे दांत के साथ ही “महाभारत” को लिखा था, जो आज भी संसार का सबसे बड़ा “महाकाव्य” माना जाता है।

अन्य धार्मिक कहानियों के लिए यहाँ क्लिक करें

Leave a Comment