कजरी तीज की पौराणिक कहानी – Kajari Teej Ki Kahani

दोस्तों इस लेख में हम आपको कजरी तीज की कहानी (Kajari Teej Ki Kahani) बताने वाले है। अगर आप कजरी कजली तीज की कहानी महत्व जानना चाहते है, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े। इस लेख को अपने दोस्तों के साथ शेयर करे ताकी वो भी Kajli Kajari Teej ki Katha जान पाए।

Kajari Teej Ki Kahani
Kajari Teej Ki Kahani

कजरी तीज क्या है और महत्व – Kajli Kajari Teej Mahatv

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजली तीज (Kajari या Kajli Teej) का पर्व मनाया जाता है। कहते हैं इस दिन जो महिलाएँ अपनी पति के लिए व्रत रखती हैं, उन्हें सौभाग्य प्राप्त होता है और उनके पति की उम्र भी लम्बी होती है, और कुंवारी कन्याएं इस व्रत को एक योग्य और मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए रखती हैं।

इस दिन माता पार्वती और भगवान शंकर की पूजा आराधना करने का अत्यंत महत्व है। इस दिन पूरे दिन बिना कुछ खाए तीज माता का व्रत रखा जाता है, और रात को सत्तू का भोग लगाकर और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत को खोला जाता है, इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है।

कजरी तीज की कहानी – Kajari Teej Ki Kahani

एक समय की बात है, एक गाँव में एक साहूकार रहता था। उसके साथ बेटे थे, जिसमें उसका छोटा बेटा चल नहीं पाता था, अपाहिज था, इसलिए उसने अपने सारे बेटों की शादियाँ बड़े ही रहीस लड़कियों से करवाई और छोटे बेटे की शादी एक गरीब कन्या से करवा दी। जिस वजह से उसे अपनी पत्नी से बिल्कुल भी प्यार  नहीं था, ना वह उसकी ओर देखता था और न ही उसे पैसे देता था।

वह जो भी पैसे कमाता वह रात को एक वेश्या के ऊपर उड़ा आता था उसकी पत्नी बहुत पतिव्रता थी और वह खुद उसे कंधे पर बिठाकर उस वैश्या के पास ले जाती थी और जब वह अंदर चला जाता, तो वह उसे घर वापस चले जाने को कह देता।

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पति की बेदर्दी की वजह से उसे अपना पेट पालने के लिए, जेठानियों के पास काम करना पड़ता था, जिससे उसे खाने को मिल जाता। पति के दुख से पीड़ित वह किसी से कुछ नहीं कहती, और सब कुछ सहती जाती थी। उसी साल, जब कजली तीज का व्रत आया, तो उसकी सास ने छोटी बहू के लिए भी एक सत्तू का पेड़ा बनाया था, और उसे तीज माता का व्रत रखने को कहा, छोटी बहू ने भी, बड़े श्रद्धा भाव से तीज माता का व्रत रखा, और जब शाम हुई तो उसके पति ने रोज की तरह उसे वैश्या के पास छोड़ आने को कहा।

उसने पति को कंधे पर उठाया और उसे वैश्या के दरवाजे पर छोड़ दिया, किन्तु आज, उसके पति ने, उसे वापस घर जाने को नहीं कहा, इसलिए वह वापस ही नहीं गई, उसी दरवाजे पर खड़ी रही।

दरवाजे पर खड़ी रहते रहते उसे काफी समय हो गया था और अब चाँद भी निकल आया था, उसने आस पास देखा तो उसे एक दूध का पात्र नजर आया। उसने चंद्रमा को अर्घ्य देकर उसमें से थोड़ा दूध पी लिया, और तीज माता से अपने पति की सेहत और लम्बी उम्र की प्रार्थना करने लगी, तीज माता की उस पर ऐसी कृपा हुई कि उसका पति जो उस वैश्या के साथ अंदर था।

उसका ह्रदय परिवर्तन हो गया और अब उसकी टांगें भी ठीक हो चुकी थीं, उसने आज तक उस वैश्या को जितने भी पैसे और गहने दिए थे। उसने सब वापस ले लिए और अपनी पत्नी के पास लौट आया। लौटते ही उसने अपनी पत्नी को वचन दिया कि आज के बाद वह कभी भी उस वैश्या के पास वापस नहीं जाएगा।

छोटी बहू का भाग तीज माता की कृपा से खुल गया था, दूसरे दिन जब जेठानी के बच्चे उसे काम के लिए भुलाने आए तो उसने कहा कि उस पर तीज माता की कृपा हुई है, अब वो उनके घर काम नहीं करेगी, इस बात  को सुनकर पूरा परिवार खुशी से आनंदित हो उठा। जिस तरह तीज माता की कृपा छोटी बहू पर हुई, उसी तरह मां सभी के सौभाग्य की रक्षा करें, जय कजली तीज माता।

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FAQ

कजरी तीज कब मनाई जाती हैं? 

उत्तर – कजरी तीज हर साल भाद्रपद मास में मनाई जाती हैं।

कजरी तीज कब हैं? Kajari Teej 2023

उत्तर – कजरी तीज 2 सितंबर 2023 को हैं।

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