कौवों की गिनती (अकबर बीरबल की कहानी) – Akbar Birbal ki Kahani

Akbar Birbal Stories दोस्तों बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से अकबर-बीरबल की कहानी (Kauvo ki Ginti ki Kahani) कौवों की गिनती की कहानी एक ऐसी कहानी थी, जो लगभग सभी बच्चों को पसंद आती थी।

Akbar Birbal Story in Hindi
Akbar Birbal ki Kahani

तो यहां हम आपको वहीं Akbar Birbal ki Kahani (कौवों की गिनती की कहानी) बताने वाले है। तो इस Akbar Birbal Story in Hindi को अंत तक जरूर पढ़ें।

कौवों की गिनती की कहानी – Akbar Birbal ki Kahani

बहुत समय पहले एक दिन की बात है, अकबर महाराज ने अपनी सभा में एक अजीब सा सवाल पूछा, जिससे पूरी सभा के लोग हैरान हो  गए। जैसे ही वे सभी उत्तर जानने की कोशिश कर रहे थे, तभी बीरबल अंदर आए और पूछा कि मामला क्या है?

राजा ने बीरबल के लिए  सवाल दोहराया। सवाल था की “शहर में कितने कौवे हैं?“

बीरबल तुरंत मुस्कुराए और अकबर के पास गए। बीरबल ने उत्तर की घोषणा की; बीरबल का जवाब था की, नगर में इक्कीस हजार पांच सौ तेईस कौवे हैं।सभी के  यह पूछे जाने पर कि वह उत्तर कैसे जानते हैं? तब बीरबल ने उत्तर दिया की  “अपने-अपने आदमियों से कौवे की संख्या गिनने के लिए कहें।

यदि अधिक मिले,, तो कौवे के रिश्तेदार उनके ही पास आस-पास के शहरों से आ रहे होंगे। यदि कम हैं, तो हमारे शहर के कौवे शहर से बाहर रहने वाले अपने रिश्तेदारों के पास जरूर गए होंगे।” 

बीरबल का यह जवाब सुनकर, राजा को काफ़ी संतोष मिला। इस उत्तर से प्रसन्न होकर अकबर ने बीरबल को एक माणिक और मोती की जंजीर भेंट की। वहीं उन्होंने बीरबल की बुद्धि की काफ़ी प्रसंशा की।

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