अलिफ लैला – शहजादा खुदादाद और दरियाबार की शहजादी की कहानी

Alif Laila ki Kahani दोस्तों, बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से अलिफ लैला की कहानी (Shahjada Khushdad aur Dariyabar ki Shahjadi) एक ऐसी कहानी थी, जो लगभग सभी को पसंद आती थी।

तो यहां हम आपको वहीं शहजादा खुदादाद और दरियाबार की शहजादी की कहानी (Alif Laila ki Kahani) बताने वाले है। तो इस Shahjada Khushdad aur Dariyabar ki Shahjadi ki Story को अंत तक जरूर पढ़ें।

शहजादा खुदादाद और शहजादी की कहानी (Alif Laila ki Kahani)

शहरजाद ने अब ने खलीफा को हैरन नगर के बादशाह की कहानी सुनाना शुरू किया। उसने बताया कि एक समय की बात है, हैरन नगर के बादशाह के पास सब कुछ था – पैसा, शौहरत, 50 रानियां, लेकिन उसे बस एक ही बात का दुख था कि उसकी 50 रानियों के बावजूद उसे एक भी संतान नहीं थी। उसने कई जगहों पर दुआ मांगी, मन्नतें मांगी पर कोई असर नहीं हो रहा था।

फिर एक रात, बादशाह के सपने में एक फखीर ने कहा कि पास के माली के बगीचे से जाकर मांगकर एक अनार खा लो, तुम्हे औलाद हो जाएगी। बादशाह सुबह होते ही पास के माली के पास चले गए और उससे एक अनार मांग लिया, और उसके 50 दाने तोड़कर खा लिए इस से उसकी  49 रानियों को गर्भ बैठ गया, पर 50वी रानी को अब भी गर्भवती होने का कोई लक्षण नहीं था, इसलिए बादशाह नाराज हो गए और अपने मंत्री को इसे कहीं दूर भेजने को कह दिया।

बादशाह ने बेगम पिरोज को अपने भतीजे के पास समरिया भेज दिया और उसे खत में लिखा कि अगर इसे बच्चा हो तो मुझे खबर कर देना। समरिया जाते ही, बेगम को बच्चा हो गया, और बादशाह के भतीजे ने उसे खत लिखा कि, आपको बेटा हुआ है, बादशाह ने कहा कि, यहाँ भी मुझे 49 बेटे हुए हैं, तुम मेरे बेटे का ख्याल रखना और उसका नाम खुदादाद रखना, मैं जल्दी ही उन्हें यहाँ भुला लूंगा।

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खुदादाद जैसे-जैसे बड़ा होता गया, वह अत्यंत ही शक्तिशाली और हर कला में निपूर्ण होता चला गया, कोई भी दुश्मन उसके सामने टिक नहीं पाता था। एक दिन, जब उसे पता चला कि उसके  पिता के राज्य पर हमला होने वाला है, तो वहां जाने की जिद करने लगा, लेकिन उसी माँ बेगम पिरोज ने उसे वहां जाने के लिए मना कर दिया, लेकिन खुदादाद ज्यादा दिनों तक खुद को रोक नहीं पाया और वो शिकार की अनुमति लेकर हैरन आ पहुंचा।

यहाँ उसने अपने पिता को अपनी असलियत नहीं बताई, उसने कहा कि मैं काहिरा से यहाँ घूमने आया हूँ, आपके राज्य पर हमला होने वाला है, इसलिए मैं आपकी मदद करना चाहता हूँ, बादशाह यह  सुनकर काफी खुश हो गए।

खुदादाद ने दुश्मनों से राज्य को बचा लिया उसकी बहादुरी देखकर, बादशाह ने उसके बेटों को भी शिक्षित करने को कहा और खुदादाद अब राज्य का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गया था। यहाँ तक कि राजकुमारों को भी उसकी अनुमति के बिना कुछ करने की आज्ञा नहीं थी। इससे सारे राजकुमार उससे जलने लगे थे, वो उसे मरवाना चाहते थे, लेकिन कभी यह कार्यवाही नहीं कर पाए।

एक दिन उन्होंने सोचा कि वे लोग खुदादाद से पूछकर शिकार के लिए जाएंगे और लौटेंगे ही नहीं, इससे उनके पिता नाराज हो जाएंगे और खुदादाद को खुद ही मृत्यु दंड दे देंगे। उन्होंने वैसा ही किया, उन्होंने खुदादाद से अनुमति ली और शिकार को चले गए और वे तीन दिनों तक नहीं लौटे, अब बादशाह भी परेशान हो रहे थे अपने बेटों के लिए, बादशाह ने खुदादाद को हुकुम दिया कि अगर वो उनके बेटों को वापस नहीं लाते हैं तो उसे मृत्यु दंड मिल जाएगा।

खुदादाद ने राजकुमारों को ढूढ़ने निकल पड़ा, ढूँढ़ते ढूँढ़ते, वो एक घने जंगल में पहुँच गया जहां एक जंगल के बीच एक पत्थर की गुफा उसे नजर आई। जैसे ही वह उस गुफा के करीब पहुँचा, वहां एक लड़की ने उससे जोर से कहा कि यहाँ मत आओ, यहाँ से चले जाओ, यहाँ राक्षस तुम्हें खा जाएगा, हम सब भी उसके बंदी बने हुए हैं।

जब तक  खुदादाद कुछ समझ पाया, तब तक राक्षस वहां पहुँच गया, और खुदादाद पर हमला करने लगा, लेकिन खुदादाद बहुत शक्तिशाली था, उसने अपनी तलवार से उस राक्षस को मार गिराया। लड़की ये देखकर बहुत खुश हुई, और खुदादाद को बताया कि इस  दरवाजे के पीछे और भी लोग हैं, खुदादाद ने जब दरवाजा खोला तो वहां और लोगों के साथ उसके 49 भाई भी थे।

उसने सबके खाने का बंदोबस्त किया और सबको अपने घर को वापस जाने के लिए तैयार किया, और जब वह अपने भाइयों के साथ वापस आने को तैयार हुआ, तो उसने लड़की से पूछा, “तुम कौन हो? क्या हम आपको घर छोड़ दें?” लड़की दरियापुर की राजकुमारी थी और अब सभी भाई उसकी कहानी सुनने के लिए उत्सुक होकर वहीं गुफा में बैठ गए और उस राजकुमारी की कहानी सुनने लगे।

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