Thirsty Crow Story: बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से पंचतंत्र की कहानी (प्यासे कौवे की कहानी) एक ऐसी कहानी थी, जो लगभग सभी को पसंद आती थी।
दोस्तों, “दिमाग” हमारे शरीर का एक ऐसा अंग, जो भले ही बाहर से दिखाई नहीं देता… लेकिन अगर वह ना हो तो बाकी सारे अंग किसी भी काम के नहीं रह जाते। तो आपको एक ऐसी ही कौवे की कहानी बताएंगे जिसने अपनी जिस सूझबूझ का इस्तेमाल किया, जो चतुराई दिखाई और जिस तरीके से सफलता पाई उससे आप सबको सीख मिलेगी।

तो यहां हम आपको वहीं Pyasa Kauwa ki Kahani (प्यासा कौवा की कहानी) बताने वाले है। तो इस The Thirsty Crow Story को अंत तक जरूर पढ़ें।
प्यासे कौवे की कहानी – Thirsty Crow Story in Hindi
दोस्तों, एक बहुत पुरानी बात है। एक बार राजस्थान के रेगिस्तान के करीब एक बहुत ही सुंदर जंगल हुआ करता था। जहां भिन्न-भिन्न प्रकार के प्राणी,आपस में बड़े प्रेम भाव के साथ रहा करते थे। सभी जानवर तथा पशु पक्षी उस जंगल में हंसी-खुशी से रहते थे l लेकिन उनके दुख का कारण था, तो वहां का मौसम। जी हां ! वास्तव में जब उस जंगल में गर्मी का मौसम आता था, तो वहां मौजूद सभी नदी नाले तालाब सरोवर सूख जाते थे।
जंगल से पानी का नामोनिशान तक मिट जाता था और जंगल का एक-एक प्राणी एक-एक बूंद पानी के लिए तरस जाता था। इसलिए गर्मी के मौसम में जानवरों को उस जंगल से निकल कर,पानी के लिए दूसरे क्षेत्रों में जाकर रहना पड़ता था। लेकिन जब बारिश का मौसम आता,तो सभी जानवर वापस अपने जंगल में लौट जाते।
वास्तव में ! बारिश का मौसम जानवरों के लिए किसी वरदान से कम नहीं था। क्योंकि बारिश होते ही पूरा जंगल खिल उठता। पेड़ पौधे और फल फूल सब हरे भरे हो जाते। सभी नदी नाले, तालाब और सरोवर पानी से लबालब हो जाते। जिसके बाद जानवर जी भर कर, जंगल में ही पानी पीते।
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जानवर उस जंगल में बरसात से लेकर सर्दी तक रहा करते थे।इसी तरह एक बार जंगल में बड़ी घनघोर गर्मी पड़ी।जंगल पानी के एक-एक बूंद के लिए तरस गया,कुछ जानवर तो जंगल छोड़कर चले गए और कुछ जानवर पानी के तलाश में इधर-उधर भटकने लगे। उस जंगल में एक पेड़ के ऊपर एक कौवा रहा करता था। जो आए दिन पानी के लिए दूर की नदी में जाया करता था। क्योंकि जंगल की नदी तो पूरी तरीके से सूख चुकी थी।
लेकिन धीरे-धीरे वह नदी भी सूख गई और कौवा प्यासा जंगल में रहने को मजबूर हो गया। लेकिन एक दिन कौवे से प्यास बर्दाश्त नहीं हुई और वह प्यासा इधर-उधर भटकने लगा। कौवे ने जंगल का कोना-कोना छान मारा, नदी नल सरोवर के कई बार चक्कर काटे। लेकिन कहीं भी पानी का एक बूंद नहीं दिखा।
कौवा बार-बार नदी नाले की ओर जाता। लेकिन उसे कहीं भी पानी नजर नहीं आता। कौवा यह जानता था कि, वहां पानी नहीं मिलेगा इसके बावजूद पानी की एक बूंद के उम्मीद में कौवा इधर-उधर भटकता रहा।
पानी के इसी खोज में कौवा जंगल से बाहर निकल के,इंसानी बस्ती में चला गया। वह एक बड़ा ही सुंदर गांव था,जहां पर कई सारे मकान थे। लेकिन उसे गांव में कोई लोग नजर नहीं आ रहे थे। तभी कौवे की नजर गांव के कुएं पर पड़ी। उसने सोचा कि, उसे इस कुएं में पानी मिल जाएगा।
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लेकिन जैसे ही कौवा कुएं की मुंडेर पर बैठा, तो उसने देखा कि…कुएं से पानी का एक-एक कतरा सूख चुका है और गांव में लोग इसीलिए नहीं है क्योंकि सूखा पड़ने के कारण वह गांव छोड़कर जा चुके हैं। कौवा गांव का सारा हाल समझ गया, लेकिन इसके बावजूद एक बूंद पानी के उम्मीद में वह उस गांव के चक्कर काटने लगा।

तभी उसकी नजर एक घर के आगे पड़े, एक बड़े से मटके पर पड़ी। जिसे देखकर कौवे की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। इस उम्मीद में की कहीं मटके में पानी मिल जाए, कौवा फौरन उड़कर उस मटके के ऊपर जाकर बैठ गया और जैसे ही उसने मटके के अंदर देखा, तो उसकी खुशी गम में बदल गई। क्योंकि मटके में पानी तो था लेकिन बहुत नीचे।
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जहां तक कौवा कभी भी नहीं पहुंच सकता था।अब कौवे के सामने पानी था, लेकिन इसके बावजूद कौवा पानी नहीं पी सकता था। वह इधर-उधर चारों ओर घूमता रहा तरकीब निकलता रहा कि,आखिर किस प्रकार इस मटके से पानी निकल जाए। लेकिन उसको कहीं भी कोई तरकीब नहीं सूझी। अंत में थक हारकर कौवा, एक झोपड़ी की छांव में जाकर कौवा बैठ गया।

तभी उसे उसके सामने कुछ कंकड़ पत्थर पड़े दिखाई दिए और उसके दिमाग में एक और नई तरकीब आई। कौवा एक-एक करके उन पत्थरों को मटके में डालता गया। जब मटका पूरा कंकर से भर गया,तो मटके का पानी ऊपर आ गया और इस प्रकार कौवे ने अपनी प्यास बुझाई। प्यास बुझाने के बाद कौवे की जान में जान आई और वह किसी हरे भरे जंगल की तलाश में निकल पड़ा।
शिक्षा (Moral of Story)
इस प्यासा कौवा की कहानी (The Thirsty Crow Story) से हमें यह सीख मिलती है कि,अगर हम सही समय पर सही दिमाग का इस्तेमाल करें, तो कठिन से कठिन परिस्थिति में भी जीत हासिल की जा सकती है। दूसरा विपरीत परिस्थितियों में हार मानकर बैठ जाना बड़ा आसान होता है, लेकिन चुनौतियों का सामना कर जीत हासिल करना बहुत मुश्किल होता है, इसलिए हमें कभी भी हार नहीं मानना चाहिए।