अलिफ लैला – शहजादा जैनुस्सनम और जिन्नों के बादशाह की कहानी

Alif Laila ki Kahani दोस्तों, बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से अलिफ लैला की कहानी (Shajada Jainussanam aur Jinnon ka Badshah) एक ऐसी कहानी थी, जो लगभग सभी को पसंद आती थी।

तो यहां हम आपको वहीं शहजादा जैनुस्सनम और जिन्नों के बादशाह की कहानी (The Story of Prince Jainussanam and the King of the Jinns) बताने वाले है। तो इस Shajada Jainussanam aur Jinnon ka Badshah ki Story को अंत तक जरूर पढ़ें।

Alif Laila

शहजादा जैनुस्सनम और जिन्नो के बादशाह की कहानी (Alif Laila ki Kahani)

बहुत समय पहले की बात हैं, बसरा में बड़ा धनवान और न्याय प्रिय बादशाह रहा करता था। बस उसे एक ही बात की चिंता थी की अब तक उसकी कोई भी औलाद नहीं थी। सारे नगर वासी और प्रजा बादशाह की औलाद हो जाए इस के लिए खुदा से प्राथना करती रहती थी और आखिरकार एक सूफी संत के आशीर्वाद से मलिका को एक बेटा हुआ, जिसका नाम जैनुस्सनम रखा गया।

सारे बसरा वासी बहोत ही खुश थे, पूरे नगर में जशन का माहौल था। फिर एक दिन बादशाह ने कुछ काजियों को बुलाया और राजकुमार की कुंडली देखने को कहा, सारे काजियों ने कहा की जैनुस्सनम बड़ा ही शक्तिशाली और बलवान राजा बनेगा, पर उसकी जिंदगी में कुछ चुनौतियां भी आएँगी जिसे पार करने के बाद वो एक उच्च कोटि के बादशाह बन जायेंगे।

बादशाह ने कहा की एक बादशाह की जिंदगी में अनेको चुनौतियां तो आती ही रहती हैं, आप सब ने राजकुमार का भविष्य बहुत ही अच्छा बताया हैं, इसलिए सबको इनाम मिलेगा।

बादशाह ने खुश होकर सबको इनाम देकर रवाना किया। जैनुस्सनम जैसे जैसे बड़ा हुआ, बादशाह ने उसकी तालीम बड़े बड़े आला दर्जे के शिक्षकों से करवाई और राजकुमार को हर कला में निपुण बनाया पर वो कहते ना, शौहरत का नशा बड़ा बुरा होता हैं। राजकुमार जैनुस्सनम पर आवारापन और शौहरत हावी होने लगी, उनकी गलत संगत उन्हें गलत रास्ते पर भटका रही थी।

इधर बादशाह भी अब अपनी आखरी साँसे गिन रहे थे, उन्होंने जैनुस्सनम को समझाया की वे अपनी आदते छोड़ दे लेकिन वो तो जवानी के जोश में थे। बादशाह के गुजर जाने के बाद, उन्हें सिंहासन मिल गया, और उन्होंने अपने गलत दोस्तों को मंत्री पद दे दिया जिस से, खजाना बर्बाद होता गया और कई सारे सिपाही राजमहल छोड़कर जाने लगे, फिर जैनुस्सनम को अहसास हुआ की उसने गलत रास्ता चुन लिया था। उन्होंने अपने गलत दोस्तों को हटाकर, अनुभवी मंत्रियों को पद पर रख दिया, लेकिन राज करने के लिए धन की भी आवशयकता होती हैं जो अब धीरे धीरे खतम हो चूका था।

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राजकुमार जैनुस्सनम दिन रात इसी सोच में थे की एक रात उन्हें सपने में एक बूढ़ा व्यक्ति दिखा उसने कहा की, तुम्हे बहोत बड़ा खजाना मिलने वाला हैं, इसलिए तुम्हे, काहिरा आना होगा। जैनुस्सनम ने ये सपना सुबह होते ही अपनी माँ को बताया। मलिका ने इस बात पर विश्वास नहीं किया, फिर भी जैनुस्सनम ने कहा की वो एक बार काहिरा जाकर देखना चाहता हैं की आखिर इस सपने का रहस्य क्या हैं ??

जैनुस्सनम काहिरा जाने के लिए निकल गया। कई दिनों की कठिन यात्रा के बाद वो एक मस्जिद में जाकर सो गया, वहां उसे सपने में वही बूढ़ा व्यक्ति फिरसे दिखा, उसने जैनुस्सनम कहा मैं देखना चाहता था, की तुम्हे मेरी बात पर कितना विश्वास हैं, अब तुम वापस बसरा जाओ, तुम्हे खजाना वहीँ मिलेगा।

जैनुस्सनम को लगा की वो शायद बेवकूफ बना रहा हैं, वो फिरसे बसरा पहुंचा और अपनी माँ से सारी बात कही, उसकी माँ ने कहा की मैंने तो पहले ही कहा था ऐसे सपनो पे विश्वास नहीं करते, अब जाकर सो जाओ तुम थक गए होंगे.

जैनुस्सनम जब रात को सोया तो उसे फिरसे तीसरी बार सपना आया, उसमे उस बूढ़े ने कहा की तुम अपने पिता के पुराने महल में जाओ और वहां खुदाई करो तुम्हे वहां खजाना मिलेगा। जैनुस्सनम ये बात जाकर अपनी माँ को बताई, उसकी माँ हस पढ़ी और कहने लगी, जैनुस्सनम तुम अब इन सपनो को छोड़ दो, ये सब तुम्हारा वहम है। जैनुस्सनम को भी ये बातें अब झूठ लगने लगी थी, लेकिन फिर भी उसने कहा की, मैं आखरी बार इस पर विश्वास करके देखना चाहता हूँ, उसने अपने अब्बा के पुराने महल में जाकर खुदाई करना शुरू कर दिया।

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बहुत देर खुदाई करने पर भी उसके हाथ कुछ नहीं लगा था, वो खुद से कहने लगा, शायद माँ ठीक ही कह रही थी, उसने थोड़ी देर और खुदाई की, तो उसकी कुल्हाड़ी किसी चीज से जाकर अटक गयी, उसने मिटटी हटाकर देखा तो, वहां एक दरवाजा था।

जैनुस्सनम ने वो दरवाजा खोला तो वहां बहुत सारी अशरफियाँ और सोने के सिक्के पड़े थे, उसने कुछ सिक्के उठाये और अपनी माँ के पास ले आया। मलिका ने वो खजना देखने की खुवाईश जताई, जैनुस्सनम अपनी माँ को उस खजाने के पास ले आया, वहां वो दोनों पूरे खोजने को खोल के देखने लगे, तभी उन्हें एक सोने की चाभी वहां दिखी। जैनुस्सनम ने आस पास देखा तो उसे वहां एक और दरवाजा दिखा, मलिका और जैनुस्सनम ने वो दरवाजा खोला तो, वहां 8 रतन जड़ित मूर्तियां लगी हुई थी और नौवीं दीवार खाली थी जहाँ, रेशम का लाल कपडा लगा हुआ था।

वो दोनों जैसे ही उस कमरे में सब कुछ देखने लगे तभी, वहां उसके पिताजी की आवाज आयी, बादशाह ने जैनुस्सनम से कहा की, ये सारी मूर्तियां मुझे जिन्न के बादशाह ने दी हैं, वो नौवीं मूर्ती भी मुझे देने वाले थे, लेकिन उस से पहले मेरी मृत्यु हो गयी अगर तुम्हे ये नौवीं मूर्ती चाहिए तो तुम काहिरा चले जाना वहां मेरा मुरीद मुबारक तुम्हे वहां तक ले जायेगा।

ये बात सुनते ही जैनुस्सनम बाकि सब भूल गया और अब उसे वो नौवीं मूर्ती चाहिए थी। उसने अपनी माँ से अनुमति ली और काहिरा के ओर कुछ सिपाहियों के साथ चल दिया, कई दिनों की कष्ट भरी यात्रा के बाद वो काहिरा पंहुचा, काहिरा की नगरी अत्यंत सुन्दर थी। उसने जैसे ही मुबारक का नाम लिया तो, सच में वो बहुत ही प्रसद्धि व्यक्ति निकला, पूरा काहिरा उसे जानता था।

जैनुस्सनम वहां पहुंचा और उसने कहा की वो बसरा के बादशाह का बेटा हैं, लेकिन मुबारक ने उस से कहा की, वो कैसे मान ले की वही राजकुमार हैं ?? कोई ऐसी बात जो केवल उसके पिता जानते थे, जैनुस्सनम ने मुबारक को पुराने महल के खजाने के बारे में और उन 8 मूर्तियों के बारे में भी बताया, ये सुनते ही मुबारक जैनुस्सनमके पेअर में गिर पड़ा और कहा मैं आपको उन नौवीं मूर्ती के पास ले जाऊंगा।

काहिरा में अपनी थकान मिटाने के बाद जैनुस्सनम मुबारक के साथ, जिन के बादशाह से मिलने निकल पड़ा, मुबारक ने उसे समझाया था की, उसे रास्ते में जो भी मिले उससे डरना नहीं हैं और बात भी नहीं करनी, अगर उसने ऐसा किया तो वो कभी भी इस जंगल से बहार नहीं निकल पाएंगे। जैनुस्सनम ठीक वैसा ही किया, जब वो झील पर पहुंचे तो एक शेर के शरीर वाला और हाथी के मुंह वाला, नाव चलाने वाला उन्हें ले जाने आया था।

जैनुस्सनम उसे देख रहा था लेकिन कुछ बोला नहीं, उसने पलक झपकते ही, उन्हें झील के उस पार पहुंचा दिया, वहां जाकर, मुबारक ने जैनुस्सनम से कहा की, जब जिन का बादशाह आये तो उसके सामने उसे झुक कर सलाम करे, और डरे नहीं अगर जिन का बादशाह किसी इन्सानी रूप में आता हैं, तो वो हमारे यहाँ आने से खुश हैं और अगर वो किसी शैतानी रूप में यहाँ आता हैं तो, इसका मतलब वो हमारे यहाँ आने से बिलकुल भी खुश नहीं।

मुबारक ये सब बातें कह ही रहा था, बादल के फटने जैसी आवाज से पूरा जंगल हिलने लगा और जिन का बादशाह एक इंसानी रूप में वहां प्रकट हुआ। जैनुस्सनम ने उन्हें देखकर झुक कर सलाम किया और उनका शुक्रिया भी अदा किया उन्होंने उनसे मिलना मंजूर किया हैं, जिन के बादशाह ने कहा की, तुम्हारे अब्बा मेरे बहोत खास मित्र थे, वो जब भी यहाँ आते थे, भेट में हम उन्हें एक रतन जड़ित मूर्ती देते थे, तुम्हे भी वो मूर्ती मिलेगी लेकिन उसके लिए तुम्हे एक, शर्त को पूरा करना होगा जैनुस्सनम ने कहा मैं हर शर्त को पूरा करने के लिए तैयार हूँ।

जिन बादशाह ने कहा की, मुझे एक 15 साल की लड़की चाहिए, जो बहार से भी सुन्दर हो और मन से भी, पर तुम्हे उसे मेरे पास पाक ही ले आना हैं अगर तुमने उसके साथ किसी भी तरीके का संबंध बनाया तो, मैं तुम्हे जान से मार दूंगा।

जैनुस्सनम इस शर्त को मानने के लिए तैयार था लेकिन उसने कहा, मैं मन की सुंदरता को कैसे देख पाउँगा?? जिन बादशाह ने उसे एक आइना दिया और कहा इसमें उस लड़की का चेहरा देख लेना, अगर वो इसमें भी सुन्दर लगी तो मन और तन दोनों से सुन्दर होगी। इतना कहते ही जिन के बादशाह गायब हो गए, जैनुस्सनम और मुबारक भी वो जादूई आइना लेकर काहिरा लौट आये।

मुबारक ने जैनुस्सनम से कहा की, हम नगर की सारी सुंदरियों को यहाँ भुलवाते हैं, फिर देखते हैं, जैनुस्सनम इस बार के लिए राजी हो गया, नगर की सारी 15 वर्ष की लड़कियों को भुलाया गया, वो सब बहार से तो सुंदर थी लेकिन अंदर से किसीका भी मन साफ़ नहीं था।

काहिरा में उन्हें ऐसी कोई लड़की नहीं मिली जो तन और मन दोनों से सुन्दर, आखिर उन्होंने फैसला किया की वो बगदाद में उस लड़की को तलाश करेंगे और वे दोनों बग़दाद में एक बड़ा सा मकान लेकर रहने लगा। वो दोनों नगर के सारे लोगों की मदद करते उन्हें, धन देते जिस से उस नगर में रहने वाला मुराद नाम का एक शख्स बहुत जलन महसूस कर रहा था, उसने आस पास के लोगों को इन दोनों के लिए भड़काना शुरू कर दिया।

जब ये बात मुबारक को पता चली तो, वो उसके पास सोने से भरा थाल ले आया और उसे से कहा, की मेरे मालिक कोई ऐसे वैसे व्यक्ति नहीं हैं वे, बसरा के राजकुमार हैं जब ये बात मुराद को पता चली तो, वो राजकुमार से मिलने आया, मुबारक ने उसे ये बात बताई की वो एक ऐसी लड़की ढूंढ रहे हैं जो बहार से ही नहीं अंदर से भी सुंदर हो।

मुराद ने कहा की वो एक ऐसी लड़की को जानता हैं, वो मंत्री की बेटी हैं जिसे खुद मंत्री ने तालीम दी हैं वो इतनी सुंदर हैं की कोई भी उसे देखता रह जाए। जैनुस्सनम और मुबारक उसके पिता से बात करने चले गए और जब उन्होंने उसे लड़की को देखा तो जैनुस्सनम उसके लिए दीवाना सा हो गया और आईने में भी वो लड़की इतनी ही सुंदर दिखी जिसका मतलब था जिन को जो लड़की चाहिए थी वो वही थी।

मंत्री ने अपनी बेटी की शादी राजकुमार से करवा दी, लेकिन शर्त के मुताबिक जैनुस्सनम को लड़की को पाक ही जिन के पास ले जाना था, जैनुस्सनम खुद बहोत रोकता पर उसके प्यार में पागल हुआ जा रहा था, लेकिन मुबारक ने उसे कुछ भी करने से मना किया था, पूरी यात्रा में जैनुस्सनम ने अपनी पत्नी का चेहरा भी नहीं देखा, ये बात अब लड़की को खटक रही थी उसने मुबारक से सब कुछ सच बताने को कहा।

लड़की सच जानकर बहोत रोने लगी, लकिन उन दोनों के पास कोई चारा नहीं था। जैनुस्सनम उसे जाते नहीं देख सकता था, इसलिए उसने मुबारक को उस लड़की को जिन के पास ले जाने को कहा, जिन उस लड़की को देखकर बहोत खुश हुआ और उसने कहा की तुम बसरा वापस जाओ तुम्हे वो नौवीं मूर्ती तुम्हारे पुराने महल में ही मिल जाएगी।

जैनुस्सनम का मन अब कहीं भी नहीं लग रहा था, अब उस मूर्ती में भी कोई दिलचस्पी नहीं थी, वो महल पहुंचकर भी गुम सुम रहने लगा, और अपनी माँ को सारी बात कह दी।

आज कई दिनों बाद, मलिका और जैनुस्सनम उस मूर्ती को देखने पुराने महल जा रहे थे। उन्हने वो दरवाजा खोला जहाँ आठ मूर्तियां थी और आखरी दीवार पर जब उन्होंने देखा तो, जैनुस्सनम की पत्नी खड़ी थी।

लड़की ने कहा तुम तो मुझे देखकर मन ही मन रो रहे होंगे की फिरसे मेरे सर पे ये मुसीबत पढ़ गयी, जैनुस्सनम ने रोते हुए कहा की, तुम नहीं जानती की, मैं कितना तड़पा हूँ तुम्हारे बिना, मुझे कोई दौलत नहीं चाहिए अगर तुम मेरे साथ हो तो ये सब सुनते ही जिन के बादशाह वहां आ गए उसने जैनुस्सनम से कहाँ मैंने इस लड़की को तुम्हारे लिए ही ढूंढा था, तुम मुझे प्रिय हो इसलिए, ये नौवीं मूर्ती और अपनी राजकुमारी दोनों तुम्हारे हुए।

जैनुस्सनम की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था, उसे प्यार और शौहरत दोनों मिल गए थे, उसके बाद दोनों अपना सुखी संसार जीने लगे।

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