इस लेख में हम आपको बेहतरीन Short Stories in Hindi बताएंगे। यह लेख उन लोगों की सहायता कर सकती है, जो इंटरनेट पर अपने बच्चों के लिए नैतिक कहानियां (Hindi Short Story) खोज रहे है।
दोस्तों, कहानी (Short Story in Hindi) लेखन कला की एक ऐसी उत्तम विधा है, जो बहुत ही कारगर जरिया है छोटे बच्चे को अच्छे संस्कार देने का। हो सकता है इसी कारण से हमारे दादी-नानी एवं अन्य घर के सदस्यों से विभिन्न प्रकार की नैतिक कहानियां (Hindi Short Stories) बचपन में सुनाया करते थे।
इन सभी Motivational Short Stories in Hindi के अंत में जो एक शिक्षा मिलती थी, वो जीवन के कठिन से कठिन परिस्थितियों को अपने में लेकर उलझी हुई समझ को बड़ी आसानी से सुलझा देती थी।
आज के समय लोग इतने व्यस्त है कि किसी के पास अपने बच्चों को प्रेरणादायक kahani सुनाने का समय ही नहीं है। इसलिए हम आपके लिए नैतिक कहानियों (Short Hindi Stories) का संग्रह लेकर आए है। तो इस हिंदी कहानी संग्रह (Small Story in Hindi) को पूरा अवश्य पढ़े।
Short Story in Hindi – हिंदी नैतिक कहानियां
दोस्तों, अगर आपके घर में छोटे बच्चें होंगे तो आपकों पता ही होगा, कि वो अक्सर हमसे Kahani सुनाने की जिद करते हैं वो भी रोज-रज नई Stories, पर सभी को ज्यादा कहानियां याद नही होती है।
तो आज मैं आपको इस लेख के माध्यम से बहुत सारे बेहतरीन Inspiring Short Story in Hindi बताने वाले है। तो चलिए इस शार्ट स्टोरी इन हिंदी (Short Story in Hindi) लेख को शुरू करते है, हमें उम्मीद है आपको द्वारा बताए गए सभी Hindi Short Story आपको जरूर पसंद आएंगे।
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हाथी और बंदर की कहानी (Hindi Short Stories)
एक बार इसी बात (सबसे बेहतर कौन है? जो आकार में बड़ा जानवर है वो या जो छोटा है वो) को लेकर एक बंदर और हाथी में बहस छिड़ गई, कि आखिर उन दोनों में सबसे बेहतर कौन है? दोस्तों, आप इस बात को तो जानते ही होंगे कि हाथी दिखने में कितना बड़ा होता है? और उसमें कितनी ताकत होती है? लेकिन अगर बंदर की बात की जाए, तो बंदर दिखने में भले हीं हाथी से छोटे होते हैं,लेकिन उनमें फुर्ती बहुत ज्यादा होती है।
एक ओर जहाँ हाथी अपनी ताकत से बड़े से बड़े पेड़ को भी हिला देने की शक्ति रखता है। वहीं बंदर अपनी फुर्ती से एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर आसानी से छलांग लगा सकता है। अब इसी बात को लेकर,हाथी और बंदर में अक्सर बहस होती रहती थी। हाथी कहता “मैं बेहतर हूँ,क्योंकि मुझमें बहुत ताकत है।” वहीं बंदर कहता “मैं बेहतर हूँ,क्योंकि मुझमें बहुत फुर्ती है।”
इस बात को लेकर वे घंटों झगड़ते और आपस में देर तक बहस करते। लेकिन इतनी बहसों के बावजूद वे किसी समाधान पर नहीं पहुँच पाते। इसलिए उन्होंने इसके समाधान के लिए,उस जंगल के राजा शेर से गुहार लगाई।
उन्होंने शेर से कहा कि “हम घंटों इस बात पार पर बहस करते हैं कि, हम दोनों में बेहतर कौन है? अब आप हीं बताइए।”
यह सुनकर शेर भी हैरत में पड़ गया और समझ गया कि,इनका मामला काफी गंभीर है। इसलिए इनकी समस्या के समाधान के लिए गंभीरता से विचार करना पड़ेगा।
काफी सोंच-विचार करने के बाद शेर ने उनसे कहा कि “इस जंगल से दूर नदी के उस पार और पहाड़ के निचे एक घाना जंगल है। उसी जंगल के बीचों बीच एक स्वर्ण का पेड़ है। जिसमें साल में एक बार एक हीं स्वर्ण का फल निकलता है। तुम दोनों में से जो भी वो फल मुझे लाकर देगा वही दूसरे से बेहतर होगा।”
शेर से मिले इस समाधान को सुन, हाथी और बंदर दोनों काफी खुश हुए। अब उन्हें एक काम मिल चुका था और इसके जरिए वे अपने आप को बेहतर साबित कर सकते थे।
अगले हीं दिन हाथी और बंदर दोनों अपने सफर पर निकल पड़े। दोनों उस स्वर्ण के फल की खोज में आगे बढ़ने लगे। एक ओर जहाँ मदमस्त हाथी,जंगल के बड़े-बड़े पेड़ों को उखाड़ता हुआ,झाड़ियों को अपने पैरों तले कुचलता हुआ आगे बढ़ रहा था। मानों जैसे वो बंदर को अपनी शक्ति दिखा रहा हो।
वहीं दूसरी ओर बंदर,हाथी को अपनी फुर्ती दिखा रहा था। वो एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांग लगाता हुआ आगे बढ़ रहा था। इस प्रकार दोनों जानवर आगे बढ़ते चले जा रहे थे। तभी उनके सामने एक बहुत भयंकर झाड़ी आ गई और वो दोनों वहीं रुक गए। उन्हें अब ये समझ नहीं आ रहा था कि, अब इसके आगे कैसे बढ़ा जाए? तभी बंदर ने एक छलांग लगाई और पेड़ की टहनी के सहारे झाड़ के उस पार चला गया।
अपनी इस बहादुरी पर बंदर को बहुत घमंड हुआ और वो हाथी की ओर देखकर हंसने लगा। यह देख कर हाथी को काफी गुस्सा आया,क्योंकि वो बंदर जितना फुर्तीला नहीं था। इसलिए उसने अपनी सूंढ़ से उस झाड़ को तोड़ दिया और उसे अपने पैरों से कुचलता हुआ आगे बढ़ने लगा।
यह देख कर बंदर भी काफी उत्साहित हो गया और एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर कूदता हुआ,आगे बढ़ता चला गया। लेकिन बंदर की रफ़्तार तब धीमी हो गई जब उसके सामने एक बहुत बड़ी नदी आई।
वो नदी काफी लम्बी-चौड़ी थी और उसके पानी का धार भी काफी तेज़ था। एक देख कर बंदर घबरा गया और उस नदी को पार करने की तरकीब सोंचने लगा। तभी वहां हाथी आया। वो उस नदी को देख कर बिल्कुल भी नहीं घबराया और देखते ही देखते झट से नदी को पार कर गया। हाथी का वजन काफी ज्यादा था,इसलिए वो उस नदी के भयंकर बहाव के बावजूद आसानी से नदी को पार कर गया।
यह देख बंदर फिर से उत्साहित हुआ और उसने भी नदी में छलांग लगा दी,लेकिन वो पानी के भयंकर बहाव को झेल नहीं पाया। बंदर नदी की धार के साथ बहने लगा और “बचाओ ! बचाओ !” चिल्लाने लगा।
यह देख कर हाथी को दया आ गई और उसने उस बंदर को सूंढ़ से उठाकर अपनी पीठ पर बिठा दिया। इस तरह बंदर ने भी नदी पार कर ली। नदी पार करने के बाद,वे दोनों पहाड़ से निचे उतरे और उस जंगल में जा पहुंचे जहाँ स्वर्ण का पेड़ था। जल्दी हीं उन्होंने उस पेड़ को भी खोज लिया और उन्हें वो फल भी मिल गया। लेकिन वो पेड़ काफी ऊँचा था,इस वजह से ना तो वहां तक हांथी की सूंढ़ पहुँच पा रही थी और ना हीं बंदर वहां तक छलांग लगा पा रहा था।
वे घंटों प्रयास करते रहे,लेकिन उस फल को तोड़ नहीं पाए। तभी बंदर ने उस फल को तोड़ने की एक तरकीब निकाली और वो हांथी के ऊपर चढ़ गया। जिसके बाद उसने उस पेड़ पर छलांग लगाईं और इस तरह उन्हें स्वर्ण का फल मिला।
लेकिन तब तक वे इस बात को समझ चुके थे कि,उन दोनों की शक्तियां अलग-अलग हैं और वे एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। फिर क्या था? उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ, उन्होंने एक दूसरे से माफ़ी मांगी और ये सबक सिखाने के लिए शेर का भी शुक्रिया किया।
शिक्षा (Moral of Story) – इस हाथी और बंदर की कहानी (Hathi aur Bandar ki Kahani) से हमें ये सीख मिलती है कि, इस संसार में हर किसी की खूबियां अलग हैं और हर किसी भी ताकत भी अलग है। इसलिए हमें कभी भी किसी को खुद से कम नहीं समझना चाहिए।
खरगोश और चूहा की कहानी (Short Hindi Story)
एक बार एक जंगल हुआ करता था, जंगल में भिन्न-भिन्न प्रकार के जानवर रहा करते थे। कोई दिखने में बड़ा विशाल जानवर था,तो कहीं कोई छोटा जानवर था। लेकिन इसके बावजूद उस जंगल में,कभी कोई बड़ा जानवर अपनी शक्ति का गलत प्रयोग नहीं करता था। कभी कोई बड़ा जानवर,अपनसे से छोटे जानवरों को सताता नहीं था।
लेकिन इसके बावजूद कुछ जानवर ऐसे थे,जो बिना मतलब के डरते थे। खरगोश उन्हीं जानवरों में से एक था। जो उस जंगल का सबसे डरपोक जानवर था। खरगोश जहाँ रहता था, वहां अगर कोई छोटी सी भी हलचल होती थी,तो वो डर जाता था। अगर वहां कोई जानवर गलती से भी आ जाता, तो खरगोश के रौंगटे खड़े हो जाते और वो डर का भाग जाता।
खरगोश ने अपने डर के कारण कई बार अपना स्थान भी बदला था। लेकिन वो जहाँ भी जाता,कोई ना कोई जानवर उसे मिल हीं जाता और उस जानवर की आहट से खरगोश के पसीने छूट जाते।
खरगोश को गाजर खाना बड़ा अच्छा लगता था और वो हर बार एक खेत में गाजर खाने जाता था। लेकिन उसी खेत में एक हिरण भी रहता था और जब भी खरगोश हिरण को देखता मारे डर के वहां से भाग जाता। हिरण एक शाकाहारी जानवर था,इसके बावजूद उसे देखकर खरगोश मारे डर से सिहर जाता। धीरे-धीरे समय बीता और खरगोश का डर और बढ़ता गया। उसके मन में हिरण का डर इतना बढ़ गया कि,अब उसने गाजर खाना हीं छोड़ दिया और वो अब अपने डर के कारण भूखा रहने लगा।
जब वो भूख से बेचैन हो उठा,तो उसने सोंचा कि “ये जिंदगी भी कोई जिंदगी है। जहाँ डर के आलावा कुछ भी नहीं। ऐसी जिंदगी के अच्छा तो मर जाना बेहतर है। हे ऊपर वाले ! तूने मुझे ऐसी जिंदगी क्यों दी?” यह सोंच कर खरगोश ने मरने का फैसला कर लिया और नदी में डूबकर मरने के लिए,नदी की ओर बढ़ने लगा।
फिर क्या था ? खरगोश नदी के पास पहुंचा और मरने से पहले भगवान से प्रार्थना करने लगा। तभी वहां एक चिड़िया उड़ती हुई आई और खरगोश को प्रार्थना करते हुए देख कर चौंक गई। खरगोश को देख कर उसने कहा…”क्यों भाई खरगोश,इस समय भगवान जो क्यों याद कर रहे हो?” जिसके जवाब में खरगोश ने कहा कि…”मुझसे बात मत करो मैं इस जंगल का सबसे डरपोक जानवर हूँ। इसलिए मुझे जीना का कोई हक़ नहीं। मेरा मर जाना हीं अच्छा है।”
खरगोश की इस बात को सुनकर,चिड़िया जोर-जोर से हंसने लगी और उसने कहा…”मैंने इस जंगल में तुमसे भी डरपोक जानवर देखे हैं।” यह सुनकर खरगोश को बड़ी हैरानी हुई और वो ये सोंचने लगा कि,क्या इस जंगल में कोई उससे भी डरपोक जानवर है?
फिर खरगोश ने चिड़िया से कहा…”मुझे भी उन जानवरों को देखना है।” तब चिड़िया ने कहा…”अगर मैं तुमको उन जानवरों को दिखाऊं,तो क्या तुम मरने का प्लान कैंसल कर दोगे?” यह सुनकर खरगोश मान गया और चिड़िया के साथ निकल पड़ा। चलते-चलते चिड़िया खरगोश को उसी खेत में ले गई,जहाँ खरगोश गाजर खाने जाता था।
जहाँ पहले से हिरण मौजूद था और चिड़िया ने खरगोश को हिरण को छुप कर देखने को कहा। खरगोश हिरण को छुप कर देखता रहा,तभी वहां एक लकड़बग्घा आया और उसे देख कर हिरण डर के मारे भाग गया।
यह देख कर खरगोश बिल्कुल चौंक गया। उसे यकीन हीं नहीं हुआ कि,जिस हिरण से वो अब तक डरता आया था…वो भी किसी दूसरे जानवर से डरता है। इसके बाद चिड़िया ने खरगोश से कहा…”अब मैं तुम्हे एक ऐसे जानवर के पास ले जाउंगी,जिसको तुमसे डर लगता है।” यह सुनकर खरगोश को बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ कि,क्या कोई जानवर उससे भी डर सकता है? और वो फिर उस चिड़िया के साथ चल पड़ा।
चिड़िया खरगोश को एक पहाड़ी के पास ले गई,जहाँ बहुत सारे चूहे इधर उधर-उधर घूम रहे थे। तभी उस चिड़िया ने खरगोश को उन चूहों के पास जाने को कहा और जैसे हीं खरगोश उन चूहों के पास गया। सारे चूहे खरगोश को देख कर डर गए और इधर-उधर भागने लगे। यह देख खरगोश एकदम चौंक गया और उन जानवरों को देख कर उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ।
जैसे हीं सारे चूहे अपनी-अपनी बिलों में चले गए,वैसे हीं खरगोश ख़ुशी से झूम उठा और नाचने लगा। तभी चिड़िया ने खरगोश से कहा…”इस जंगल में हर जानवर अपने से बड़े जानवर से डरता है। जैसे कीड़े चूहे से डरते हैं,चूहा तुमसे डरता है,तुम हिरण से डरते हो,हिरण लकड़बग्गे से डरता है,लकड़बग्घा शेर से डरता है और शेर शिकारी से डरता है। अगर सब डर के मारे मरते रहे,तो एक दिन सभी जानवर मर जाएंगे और जंगल सुना हो जाएगा।” यह बोलकर चिड़िया उड़ गई और खरगोश को बहुत पछतावा हुआ।
खरगोश को जंगल के नियम समझ आ गए थे और उसने अपने आप को स्वीकार लिया था। इस घटना के बाद खरगोश के मन में अपने लिए कभी भी कोई हीन भावना नहीं आई और उसने जिंदगी जीना सीख लिया। फिर क्या था ? खरगोश ने अंदर से डर खत्म हो गया, उसने हिरण समेत हर जानवर से डरना छोड़ दिया और खुल कर उस खेत में गाजर खाने लगा।
शिक्षा (Moral of Story) – इस खरगोश और चूहा की कहानी (Khargosh aur Chuha ki Kahani) से हमें ये सीख मिलती है कि, डर हमें अंदर से कमजोर बना देता है और हमें कभी आगे बढ़ने नहीं देता। इसलिए जीवन में तरक्की करने के लिए डरना छोड़ दो।
शेर और भालू की कहानी (Short Stories in Hindi)
एक बार एक जंगल में बड़ा हीं लालची और मतलबी किस्म का शेर रहता था। जो सिर्फ अपने काम से मतलब रखता था। वो अपने मतलब के लिए दूसरे जानवरों से दोस्ती करता था और जब उसका मतलब पूरा हो जाता,तो वो उन जानवरों का साथ छोड़ देता। ऐसे हीं उस शेर ने एक-एक करके जंगल के लगभग सभी जानवरों को धोखा दिया। फिर देर किस बात की थी? शेर अपने इस मतलबी व्यवहार के लिए पूरे जंगल में फेमस हो गया।
पूरे जंगल में शेर के मतलब के किस्से फैलने लगे और एक तरीके से अपने हरकत को लेकर,शेर पूरे जंगल में बदनाम हो गया। जिसके बाद जंगल के सभी जानवर शेर से दूर रहने लगे। शेर जहाँ भी जाता जानवर समझ जाते कि, ये अपने किसी मतलब से आया है और जानवर वहां से चले जाते।
इस तरह एक-एक कर के,शेर जंगल के सभी जानवरों के समूहों से निकाल दिया गया। अब ना तो कोई उससे दोस्ती करना चाहता था? और ना हीं कोई उसको अपने साथ रखना चाहता था। धीरे-धीरे करके जानवरों ने,शेर से बात करना भी बंद कर दिया और शेर उस जंगल में काफी अकेला हो गया। अपनी हरकतों के वहज से शेर इतना बदनाम हो गया था कि, अब तो छोटे-छोटे जानवर भी उसको इगनोर करने लगे।
लेकिन दोस्तों, जिस तरह मतलबी इंसान कभी नहीं सुधरता,उसी तरह उस शेर ने भी अपनी आदत नहीं बदली। उसे अपनी हरकतों का बिल्कुल भी पछतावा नहीं था।
पूरे जंगल में बदनाम होने के बावजूद,शेर अपनी हरकत से बाज नहीं आया और एक ऐसा जानवर खोजने लगा… जो उसे ना जानता हो। जिससे वो दोस्ती करके उसका फायदा उठा सके। उसी दौरान उस जंगल में एक बूढ़ा भालू आया था।
भालू किसी दूसरे जंगल से आया था और यहाँ के जानवरों के बारे में अच्छे से नहीं जानता था। जब इस बात की खबर शेर को लगी, तो उसके कान खड़े हो गए और वो खुशी से झूम उठा। उसे इसी मौके का तो इंतजार था। भालू जंगल में नया था और शेर के मतलबी नेचर के नहीं जानता था। ये शेर के लिए बड़ा अच्छा मौका था। वो भालू का फायदा उठा सकता था।
लेकिन इसके लिए शेर को उस भालू के बारे में अच्छे से जानना था। क्योंकि उसका फायदा उठाने के लिए उसके पास कुछ होना भी चाहिए। इसलिए शेर ने उस भालू का पीछा करना शुरू कर दिया। लेकिन उसको उस भालू में कुछ ख़ास बात नजर नहीं आई और वो निराश होकर लौटने लगा। “आखिर एक बूढ़ा भालू मेरे किस काम आ सकता है?” ये सोंच कर शेर वहां से लौटने लगा।
तभी शेर ने दो बंदरों को आपस में बात करते सुना। जहाँ एक बन्दर दूसरे को बता रहा था कि…”इस जंगल में जो नया बूढ़ा भालू आया है,उसके पास शहद का भण्डार है।” यह सुनकर शेर के मुंह में पानी आ गया,क्योंकि आज तक उसने शहद को सिर्फ दूर से देखा था। शेर ने मक्खियों के डर से आज तक शहद का स्वाद नहीं चखा था। इसलिए शेर के मन में फिर से लालच जगी और वो बूढ़े भालू से दोस्ती करने फिर से निकल पड़ा।
शेर उस गुफा के पास गया जहाँ भालू रहता था और उसने भालू को देखते हीं उसका पैर छू लिया । यह देख कर भालू चौंक गया और उसने कहा “अरे ! एक शेर होकर भालू के पाँव क्यों छू रहे हो?” तभी उस लालची शेर ने बड़े मतलबी अंदाज में कहा “अरे ! शेर हूँ तो क्या हुआ? आप मुझसे बड़े हैं,बुजर्ग हैं। आपका सम्मान करना मेरा फर्ज है।”
यह सुनकर भालू खुश हो गया और मन हीं मन सोंचने लगा कि “बड़ा संस्कारी शेर है।” लेकिन शेर इतने पर हीं नहीं माना,उसने उस भालू से कहा कि “हमारे जंगल में कोई भी बुजुर्ग जानवर नहीं है, इसलिए मैं आज तक बुजुर्गों की सेवा नहीं कर पाया। मैं आपको अपने घर खाना खाने का निमंत्रण देने आया हूँ। कृपया मुझे अपनी सेवा का मौका दीजिए।” यह सुनकर भालू खुश हो गया और उसने शेर का निमंत्रण स्वीकार कर लिया।
फिर क्या था? शेर अपने घर आ गया और भालू के आने का इंतजार करने लगा। शेर ने इस लालच से भालू को खाने पर बुलाया था कि,एक दिन भालू भी उसे खाने पर बुलाएगा और उसे शहद खिलाएगा। लेकिन शेर था तो असली कंजूस। जब भालू उसके घर खाना खाने आया,तो उसने केवल एक हीं थाली में खाना निकाला और उसने कहा “हमारे यहाँ एक हीं थाली में मेहमानों के साथ खाना खाने का रिवाज है।” लेकिन शेर उस थाली को भी अकेला हीं चट कर गया और भालू भूखा रह गया।
निराश हो भालू वहां से चला गया और अपने घर के बाहर मुँह लटका कर बैठ गया। तभी वहां एक चिड़िया आई और भालू से उसकी उदासी का कारण पूछा। भालू ने उसे सारी कहानी कह सुनाई। जिसके बाद चिड़िया ने कहा “वो शेर इस जंगल का सबसे मतलबी, लालची और कंजूस जानवर है। जो दूसरों के घर के खाने पर नजर रखता है। जरूर उसकी नजर तुम्हारे शहद पर होगी,इसीलिए उसने तुम्हे अपने घर बुलाया होगा। वो ऐसा सबके साथ करता है।”
फिर क्या था भालू अब शेर को अच्छे से जान चुका था और उसने भी शेर को अपने घर शहद खाने के लिए बुलाया। शेर अपनी लालच भरी नजरों के साथ भालू के घर आया और शहद का इंतजार करने लगा।
तभी भालू ने अपनी गुफा का दरवाजा बंद कर दिया और मक्खियों भरा शहद का छत्ता शेर को दे दिया। फिर गया था मक्खियों ने शेर को इतना काटा कि, उसका शरीर फुल गया और खुद उसकी शक्ल भालू जैसी हो गई।
शिक्षा (Moral of Story) – इस शेर और भालू की कहानी (Sher Aur Bhalu Ki Kahani) से हमें ये सीख मिलती है कि, चाहे इंसान हो या जानवर एक लालच में पड़े मतलबी प्राणी को इसका फल भुगतना हीं पड़ता है।
लालची बिल्ली और बन्दर की कहानी (Short Animal Stories in Hindi)
दोस्तों लालच, झूठ और जलन। ये कुछ ऐसी गन्दी आदतें हैं, जिन्होंने इंसान तो क्या? जानवरों का भी पीछा नहीं छोड़ा। इंसान तो इंसान कई बार जानवर भी ऐसी बुरी आदतों के चपेट में आ जाते हैं। लेकिन एक बार जब ये आदत किसी को लग जाती है, तो उसे इसका बुरा परिणाम भी भुगतना पड़ता है। जी हाँ दोस्तों! आज हम आपको दो ऐसी बिल्लियों की कहानी सुनाने जा रहे हैं। जिनकी दोस्ती की मिसाल पूरे जंगल में दी जाती थी। लेकिन जब उन्हें लालच जैसी गन्दी आदत लगी, तो उनका भारी नुकसान हो गया। तो आइये जानते हैं पूरी कहानी।
दरअसल ! बात तब की है जब उस जंगल में बाहर से एक बन्दर आया। वो बन्दर बड़ा हीं शातिर और लालची था। उस जंगल में आने के बाद उसने उस जंगल और वहां के जानवरों को अच्छे से देखा। जिसे देख कर उसे बड़ी हैरानी हुई। क्योंकि ऐसा शांत जंगल, उसने पहले कभी नहीं देखा था। जहाँ बड़े जानवर, छोटे जानवरों को डरते नहीं थे। सारे जानवर मिल जुलकर रहते थे और शाम को नदी में एक साथ पानी पीते थे।
ये सब देख कर उस बन्दर को बात कुछ हजम नहीं हुई। उसे लगा कहीं जानवर भाईचारे का दिखावा तो नहीं कर रहे,ये जानने के लिए उसने दो बिल्लियों से दोस्तों कर ली। उन बिल्लियों में एक बिल्ली का नाम बिन्नी था और दूसरी बिल्ली का नाम मिन्नी था। वो बिल्लियां छोटी और मासूम थी।
उनकी उसी मासूमियत का फायदा उठा कर, उस बन्दर ने उनको अपना दोस्त बना लिया और एक दूसरे के खिलाफ उनके कान भरने लगा। बन्दर उन बिल्लियों को एक दूसरे के खिलाफ भड़काने लगा। लेकिन उन दोनों बिल्लियों में काफी गहरा प्यार था और वो दोनों एक दूसरे से बहनों जैसा प्यार किया करती थीं। उन दोनों बिल्लियों को एक दूसरे पर पूरा भरोसा था। इसलिए उनको भड़काना बन्दर के लिए इतना आसान भी नहीं था।
लेकिन जैसे एक गन्दी मछली पूरे तालाब को गन्दा कर देती है और एक सड़ा हुआ फल सभी फलों को नाश देता है। ठीक उसी प्रकार उस लालची बन्दर ने,उन दोनों बिल्लियों में फूट डालना शुरू कर दिया। एक दिन की बात है,मिन्नी घर में सो रही थी, तभी उसे बड़ी जोर से भूख लगी और उसने बिन्नी को खाना लाने को कहा। लेकिन घर में भोजन का नामों निशान तक नहीं था, इसलिए बिन्नी भोजन के तलाश में बाहर चली गई।
जब उस लालची बन्दर ने बिन्नी बाहर भटकते हुए देखा, तो उसे मौका मिल गया और वो एक रोटी लेकर मिन्नी के पास चला गया। उसने मिन्नी को रोटी देते हुए कहा “ये लो मैं तुम्हारे लिए रोटी लेकर आया हूँ, इसे किसी को भी मत देना और खुद खाना।” इतना बोलकर बन्दर वहां से चला गया। तभी वहां बिन्नी बाहर से भोजन लेकर आई और जब उसने मिन्नी को रोटी खाते हुए देखा, तो उसका पारा गरम हो गया।
उसने मिन्नी से काफी गुस्से में कहा कि “मैं तुम्हारे लिए परेशान होकर भोजन लेने गई थी और यहाँ तुम मुझसे छुपाकर रोटी खा रही हो।” यह सुनकर मिन्नी को भी गुस्सा आ गया और उसने कहा कि “ये रोटी मुझे मिली है,तो इसे मैं हीं खाऊँगी।” यह सुनकर बिन्नी ने कहा कि “लेकिन हमने तो एक दूसरे ये ये वादा किया था कि,हम एक दूसरे के बिना कुछ भी नहीं खाएंगे।”
इस बात पर मिन्नी के कहा कि,”मुझे भूख लगी थी, इसलिए मैंने खा लिया। अगर तुम्हे बुरा लग रहा है,तो आओ इसका आधा हिस्सा तुम खा लो।” उस एक रोटी को लेकर दोनों बिल्लियों में झगड़ा होने लगा और वो बन्दर वहीं छुपकर उन बिल्लियों को लड़ता हुआ देखता रहा। उनको लड़ता हुआ देख कर बन्दर काफी खुश हुआ। क्योंकि वो तो यही चाहता था। लेकिन अभी उसे यहीं शांति नहीं मिली। वो उनकी लड़ाई को और बड़ा बनाना चाहता था,इसलिए उसने एक तरकीब निकाली।
उन बिल्लियों की लड़ाई के बीच में हीं,वो बन्दर कूद पड़ा और उसने उन बिल्लियों को शांत करवाते हुए कहा कि “तुम दोनों लड़ो मत और इस रोटी को आधा-आधा बाँट कर खा लो।” इस बात पर फिर उन दोनों बिल्लियों में झगड़ा शुरू हो गया।
वो दोनों उस रोटी को अपने हाथ से बाँटना चाहती थी,क्योंकि अब उनको एक दूसरे पर भरोसा नहीं रह गया था। तभी बन्दर ने उनसे कहा कि “अगर तुम दोनों को एक दूसरे पर भरोसा नहीं है। तो ये बंटवारा कर सुबह पूरे जंगल के बीचों बीच, सभी जानवरों के सामने होगा और मैं खुद ये बंटवारा करूँगा। फिर क्या था? सुबह हुई, सारे जानवर इकट्ठे हुए और बन्दर एक तराजू लेकर आ गया।
उसने रोटी के दो टुकड़े किए और तराजू के दोनों ओर रख दिया। तराजू का जो हिस्सा सबसे भारी होता,उसको बराबर करने के लिए बन्दर रोटी के उस हिस्से को थोड़ा खा जाता। ऐसा करते-करते,वो बन्दर दोनों न तरफ की रोटियों को खा गया और उन दोनों बिल्लियों पर हँसता हुआ भाग गया। यह देखकर उन दोनों बिल्लियों को काफी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। जिन बिल्लियों की दोस्ती की पूरे जंगल में मिसाल दी जाती थी, उन बिल्लियों के झगडे को आज पूरे जंगल ने देखा।
लेकिन इन सब की वजह वो लालची बन्दर नहीं था। बल्कि इसकी असली वजह थी बिल्लियों की लालच। क्योंकि लालच में ना तो उन्हें रोटी मिली और उन्हें पूरे जंगल के आगे बेइज्जत होना पड़ा वो अलग।
शिक्षा (Moral of Story) – इस लालची बिल्ली और बन्दर की कहानी (Bandar Aur Billi Ki Kahani) से हमें ये सीख मिलती है कि, लालच हमें इतना अँधा कर देता है कि हमें सही गलत कुछ नजर नहीं आता और हम अपनों से हीं लड़ने लगते हैं।
अलीबाबा चालीस चोर की कहानी (Short Stories with Moral)
एक समय की बात है, रियाद नाम के शहर में, मरियम का बेटा अली रहा करता था, सब लोग उसे प्यार से ‘अली बाबा’ कहकर भुलाते थे। अली बाबा के पिता कभी इस शहर के राजा हुआ करते थे, लेकिन जुबेर जो कभी उनका सेनापति हुआ करता था, उसने धोखे से उन्हें मार दिया और सब कुछ हड़प लिया।
उसने मरियम और अली को महल से बाहर फेंक दिया और मरियम ने कड़ी मेहनत करके अली को बड़ा किया था। हालांकि मरियम ने कभी अली को यह सचाई नहीं बताई कि वो एक राजा का बेटा था, लेकिन वो कहते हैं ना, सच ज्यादा दिनों तक छुप नहीं सकता।
मरियम से महल के कुछ सिपाही जो राजा के वफादार थे, आज भी मिलने आते थे। एक दिन जब वो सिपाही मरियम से बात कर रहे थे, तो अली ने उनकी बात को सुन लिया, और मरियम को सब कुछ सच सच बताना पड़ा। सिपाहियों ने अली को बताया कि जुबेर ने महल का सारा खजाना एक रहस्यमयी गुफा में छुपा के रखा है, जिसके बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया, अगर अली वो खजाना ढूंढ ले, तो वो फिरसे राजा बन सकता है।
अली ने यह फैसला किया कि वह अपने पिताजी के खजाने को फिरसे पाकर ही रहेगा। उसने अगले ही दिन से, जुबेर पर नजर रखना शुरू कर दिया, कि वो कहाँ जाता है? किस से मिलता है? क्या करता है? पर वो जो भी कुछ करता, उसके साथ, 40 खूंखार चोर साथ ही रहते थे, उसकी हिफाजत करने के लिए, अली को अब पाता लगाना था कि आखिर वो रहस्यमयी गुफा थी कहाँ जहाँ जुबेर सारा खजाना रखा करता था।
उसने कई दिनों तक उस पर नजर रखी, और आखिरकार वो दिन आ ही गया, जुबेर आज उस गुफा में आ ही गया था जो जंगल के अंदर की तरफ थी। अली छुपकर उसे देख रहा था, जुबेर अपने चालीस चोरों के साथ वहां आया हुआ था, उसने आस-पास देखा और गुफा की ओर देखकर, कहा, “खुल जा सिम सिम,” और गुफा का दरवाजा खुल गया।
अली पीछे खड़े सब देख रहा था, उसे यह देखकर बड़ी हैरानी हुई कि, ये कहने से गुफा का दरवाज़ा अपने आप खुल जाता था। वह कुछ देर वहां खड़ा रहा, और थोड़ी देर बाद जुबेर अपने चालीस चोरों के साथ गुफा से बाहर आ गया। अब अली के पास मौका था उस गुफा में जाने का, वो बिना वक्त गवाए, गुफा के पास पहुँच गया और उसके सामने “खुल जा सिम सिम” कहते ही गुफा का दरवाजा खुल गया।
अली जब अंदर पहुंचा, तो वहां हीरे, जवाहरात, मोती, माणिकों से भरा खजाना पड़ा हुआ था, उसकी आँखें इन सब को देखकर चमक उठी, पर इससे पहले कि वो उस गुफा से बाहर आ पाता, जुबेर गुफा के अंदर आ गया, और उसने अली को वहां देख लिया।
जुबेर अली पर हसने लगा और कहने लगा कि तुम्हारी पिताजी की और तुम्हारी मृत्यु लगता है मेरे ही हाथों लिखी है। अली अकेला था और जुबेर के साथ चालीस चोर थे, लेकिन यह वक्त गभराने का नहीं पर हिम्मत से काम लेने का था।
उसने जुबेर से कहा कि, तुम मुझे मार दो, मुझे कुछ नहीं चाहिए इस खजाने से, ये सब तुम्हारा और इन चालीस चोरों का है।
जुबेर हसने लगा और घमंड से उसने कहा कि, ये चालीस चोर, इनका कुछ नहीं समझे, ये सब भी तुम्हारी तरह भिखारी हैं, ये बस मेरे नौकर हैं, और कुछ नहीं।
अली ने जवाब देते हुए कहा कि, इन चालीस चोरों की वजह से तुम ये पूरी सल्तनत चला रहे हो, और तुम इन्हें ही भिखारी कह रहे हो, कितनी शर्म की बात है, मैं इनकी जगह होता तो तुम्हे मार देता।
अली की बात सुनकर, सभी चोर जुबेर पर गुस्सा हो गए और सबने मिलकर जुबेर को मार दिया। जुबेर को मारने के बाद अली ने सब से कहा कि वो सारा खजाना बाहर खड़े अपने अपने घोड़ों पर चढ़ा दें और अपना अपना घोड़ा लेकर चले जाएं। सबने अली की बात मान ली और सारा सोना, चांदी, जवाहरात, मोती को बाहर खड़े अपने घोड़ों पर चढ़ा दिया।
अब बस एक ही बक्सा पढ़ा था, खजाने का, और चालीस चोर आपस में लड़ने लगे, इसका फायदा उठाकर अली गुफा के बाहर आ गया और उसने गुफा को बंद कर दिया। सारा सोना भी अब बाहर आ चुका था और चालीस चोरों से भी छुटकारा मिल चुका था, अब अली को अपना असली हक़ वापस मिल गया, और वह रियाद शहर का नया राजा बन गया।
शिक्षा (Moral of Story) – इस अलीबाबा चालीस चोर की कहानी (Ali Baba Aur Chalis Chor ki Kahani) से हमें ये सीख मिलती है की, लालच मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। लालच करने से सब काम खराब हो जाते हैं, इसलिए कभी भी लालच नहीं करना चाहिए।
मूर्ख बकरी की कहानी (Small Story in Hindi)
एक बार एक जंगल में बड़ी चालाक लोमड़ी रहा करती थी। जो अपनी बुध्दि और अक्लमंदी के के लिए पूरे जंगल में फेमस थी। लोमड़ी अक्सर शिकार के लिए,पूरे जंगल में घूमती रहती थी और छोटे-मोटे जानवरों का शिकार किया करती थी।
लोमड़ी अक्सर छोटे जानवरों को झांसा देती,जानवर उसकी बातों में आ जाते और वो उनको मार कर खा जाती। अपनी इस अक्लमंदी पर लोमड़ी बहुत खुश रहती थी। लेकिन उसी जंगल में एक मूर्ख बकरी भी रहा करती थी,जो अपनी मूर्खता के लिए पूरे जंगल में जानी जाती थी।
बकरी इतनी सीधी थी कि कोई भी उसे पागल बना जाता था और इस वजह से उसका बहुत ज्यादा नुकसान भी हो जाता था। इस वजह से कोई भी जानवर उससे दोस्ती नहीं करता था और सारे जानवर उससे दूर भागते थे। एक दिन ऐसे हीं बकरी घास चर रही थी।
उसी वक्त वहां वो लोमड़ी आई और उसने बकरी से कहा “मैं शिकार करके आ रही हूँ और बहुत ज्यादा थक गई हूँ। क्या तुम मेरे लिए पानी ला दोगी?”
यह सुन कर बकरी को लोमड़ी पे दया आ गई और वो लोमड़ी के लिए पानी लेने चली गई। लेकिन जब बकरी को आने में ज्यादा देरी होने लगी, तो लोमड़ी खुद पानी के के तालाश में इधर-उधर घूमने लगी। तभी लोमड़ी को एक कुआं दिखाई दिया, जिसमें पानी था। यह देख कर लोमड़ी काफी खुश हो गई। लेकिन कुँए में पानी काफी गहरा था, इसलिए लोमड़ी पानी तक पहुँच नहीं पाई और इसी चक्कर में वो कुँए में जा गिरी।
कुँए में पानी कम था इसलिए लोमड़ी डूबी नहीं और वहां उसने पानी जी भर के पिया। लेकिन अब लोमड़ी कुँए में फंस चुकी थी और वो वहां से बाहर निकलने का रास्ता खोजने लगी। लेकिन वो चाह कर भी कुँए से बाहर नहीं निकल पाई। फिर क्या था ? लोमड़ी ने कुँए के अंदर से “बचाओ ! बचाओ !” चिल्लाना शुरू कर दिया।
लेकिन वो कुआं बड़े सुनसान जगह पर था और वहां कोई जानवर भी नहीं आता था। इसलिए किसी ने उस लोमड़ी की आवाज नहीं सुनी। तभी वहां लोमड़ी के लिए पानी लेकर बकरी आई। लेकिन बकरी को कहीं भी लोमड़ी नजर नहीं आई। तभी उसे पास के कुँए से,लोमड़ी की आवाज आई और जब बकरी ने लोमड़ी को कुँए में देखा तो चौंक गई।
लोमड़ी को कुँए में देख कर बकरी ने कहा कि…”अरे लोमड़ी बहन ! तुम इस कुँए में क्या कर रही हो? देखो मैं तुम्हारे लिए पानी लेकर आई हूँ।”
कुँए के बाहर बकरी को देखकर, लोमड़ी काफी खुश हुई और उसने अपना दिमाग लगाना शुरू कर दिया। उस चालाक लोमड़ी ने बकरी से कहा कि…”अरे बकरी बहन ! तुम्हे नहीं पता क्या,इस जंगल में बड़ी जल्दी सूखा पड़ने वाला है? इसलिए मैं आज से इसी कुँए में रहूंगी और जम कर पानी पिऊँगी।”
लोमड़ी से ऐसी बातें सुनकर,बकरी घबरा गई और उसने कहा… “अगर जंगल में सूखा पड़ जाएगा,तो मैं कहाँ जाऊँगी?” यह सुनकर लोमड़ी ने अपनी चालाकी भरे अंदाज में कहा कि… “बकरी बहन तुम घबराओ मत, तुम मेरे साथ इस कुँए में रह सकती हो। अगर तुम चाहो तो अभी आ जाओ।” फिर क्या था ? वो मूर्ख बकरी, चालाक लोमड़ी की बातों में आ गई और उसने सीधा उस कुँए में छलांग लगा दी।
बकरी जैसे हीं कुँए में गिरी, लोमड़ी उस बकरी के ऊपर चढ़ गई और एक हीं छलांग में कुँए से बाहर निकल गई। अपने दिमाग का इतेमाल कर लोमड़ी बाहर आ गई और अपनी मूर्खता के चक्कर में बकरी कुँए में फंस गई।
लेकिन तभी लोमड़ी ने अपना फिर से दिमाग लगाया और उसने सोंचा कि,क्यों ना इस बकरी को अपने साथ रख लिया जाए? क्योंकि मूर्ख, लोग चालक लोगों के बड़े काम आते हैं। यह सोंचकर कर लोमड़ी ने एक रस्सी के सहारे उस बकरी को कुँए से बाहर निकाल लिया और उसका फायदा उठाने के लिए, बकरी से झूठी दोस्ती कर ली। बकरी एक बार धोखा खा चुकी थी, लेकिन उसके बावजूद उसने लोमड़ी पर भरोसा कर लिया और वो लोमड़ी के साथ रहने लगी।
लोमड़ी बकरी से सारा काम करवाती और खुद पूरे दिन आराम करती। एक तरीके से लोमड़ी ने दोस्ती की आड़ में,बकरी की मूर्खता का फायदा उठाते हुए… उसे अपना गुलाम बना लिया था। फिर क्या था ? धीरे-धीरे समय बीतता गया,लोमड़ी की चालाकी बढ़ती गई और बकरी की मूर्खता में भी इजाफा होता रहा।
ऐसे हीं एक दिन लोमड़ी शिकार कर के आई और उसने लोमड़ी से कहा…”मैं इस गुफा के अंदर सोने जा रही हूँ,जब तक मैं खुद सो कर ना उठ जाऊं तब तक मुझे मत उठाना।” यह बोल कर लोमड़ी अपनी गुफा में सोने चली गई और बकरी वहीं घास चरने लगी।
तभी अचानक जंगल में चारों ओर अफरा तफरी मच गई और सारे जानवर इधर-उधर भागने लगे। तभी एक खरगोश भागता हुआ बकरी के पास आया और उसने कहा “जंगल में आग लग गई है,जल्दी भागो यहाँ से।” यह बोलकर खरगोश वहां से भाग गया और सभी जानवर वहां से भागने लगे।
लेकिन वो मूर्ख बकरी वहीं खड़ी रही और उसने मन में सोंचा कि “अगर वो यहाँ से भाग गई,तो लोमड़ी को बुरा लगेगा।”
अब क्योंकि उसे लोमड़ी ने उठाने से मना किया था, इसलिए वो लोमड़ी को उठाने भी नहीं गई। इस तरह लोमड़ी और बकरी दोनों उस जंगल की आग में जल कर मर गए।
शिक्षा (Moral of Story) – इस मूर्ख बकरी की कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि, कभी किसी मूर्ख पर जरुरत से ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि समय आने पर मूर्ख खुद तो मरता हीं है, साथ में हमें भी मरवा डालता है।
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Conclusion
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