The Golden Swan Story – यहां हम सुनहरे हंस की कहानी (Sunehra Hans ki Kahani) बताने वाले है। तो इस The Golden Swan Story in Hindi को अंत तक जरूर पढ़ें।
सुनहरे हंस की कहानी – The Golden Swan Story in Hindi
बहुत समय पहले की बात है यहकहानी जातक कथाओं में से बच्चों के लिए नैतिक कहानियों में से एक है, जिसमे की लालच की बात बताई जाती है! बहुत दिनों की बात है एक झील में एक हंस रहा करता था, जो कीबहुत खास हंस था। उस हंस के बहुत सुंदर सुनहरे पंख थे। वहीं झील के पास एक बूढ़ी औरत अपनी बेटियों के साथ रहा करती थी।
वह बूढी औरत और उसकी बेटियां बहुत ज़्यादा मेहनत करने के बाद भी वह गरीब ही रहे। यह सुब देखकर एक दिन, हंस ने सोचा: कियों न मैं इनको हर दिन एक सुनहरा पंख दे दूं ताकि ये महिलाएं इस पंख का बेच सकें और अपने जीने के लिए पर्याप्त पैसा पा सकें ।
अगले दिन हंस उस बुढ़िया के पास गया। बूढ़ी औरत ने हंस की सारी बात सुनी और हंस को देखकर बूढ़ी औरत ने कहा, “मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं है!” लेकिन ऐसा कहने पर हंस ने कहा, “लेकिन, मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ है!” औरबूढ़ी औरत को समझाया कि वह क्या कर सकती है!
बुढ़िया और उसकी बेटियाँ सोने का पंख लेने के लिए त्यार हो गयीं ।बुढ़िया और उसकी बेटियाँ सोने का पंख लेकर बाजार में बेचने के लिए गई थीं। उस दिन, वह सभी हाथ में पर्याप्त धन लेकरबहुत खुश होकरअपनी घर वापस आए।
हंस दिन-ब-दिन बुढ़िया और उसकी बेटियों की मदद करता रहता। बेटियाँ चिड़ियो के साथ खेलना पसंद करती थीं और बरसात के दिनों में और ठंड के दिनों में उसकी देखभाल करती थीं! जैसे-जैसे समय बीतता गया, बूढ़ी औरत और लालची होती गई! बूढ़ी औरत ने सोचा के एक पंख उसकी मदद कैसे कर सकता है?तब उसने एक योजना बनाई कि “जब कल हंस उसको पंख देने आएगा तो हमें उसके सारे पंख तोड़ देने चाहिए!” उसने अपनी बेटियों कोभी यह बात बतायी ।
ऐसी बात सुनने पर, बूढ़ी औरत कि बेटियों ने इसमें उसकी मदद करने से इनकार कर दिया। अगले दिन बुढ़िया ने हंस के आने का इंतजार किया। जैसे ही हंस उनके घर आया, बुढ़िया ने हंस के अगले हिस्से को पकड़ लिया और उसके पंखों को तोड़ना शुरू कर दिया।
जैसे ही बुढ़िया ने पंखो को तोड़ा, तो पंख सफेद हो गए। बुढ़िया रो पड़ी और हंस को जाने दिया। इसपर हंस ने कहा की, “तुम लालची हो गए हो! जब तुमने मेरी इच्छा के बिना मेरे सुनहरे पंख तोड़ दिए, तो वे सफेद हो गए!
इतना कहकरवह हंस गुस्से में वहाँ से उड़ गया फिर कभी नहीं दिखायी पड़ा!