तेनालीराम और मूर्ख चोर – Tenali Rama And Foolish Thieves Story

Tenali Rama And Two Thieves Story: बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से तेनालीराम की कहानी (तेनालीराम और मूर्ख चोर की कहानी) एक ऐसी कहानी थी, जो लगभग सभी को पसंद आती थी।

Tenali Rama And Two Thieves Story
Tenali Rama Story 

तो यहां हम आपको वहीं Tenali Rama And Foolish Thieves Story (तेनाली रामा और चोरों की टोली की कहानी) बताने वाले है। तो इस Tenali Rama Story को अंत तक जरूर पढ़ें।

तेनालीराम और मूर्ख चोर – Tenali Rama and Two Thieves Story

बहुत समय  पहले की बात है, तब भारत के दक्षिण दिशा में विजयनगर नामक एक राज्य हुआ करता था। उस राज्य के राजा कृष्णदेवराय हुआ करते थे। वहीं उनके दरबार में तेनाली रामा नामक एक मंत्री भी था। 

विजयनगर में उन दिनों चोरी की कई घटनाएं हो चुकी थी । राजा कृष्णदेवराय चोरों से चिंतित थे। तेनाली रामा समेत दरबार में हर कोई चिंतित नजर आया! उस शाम जब वह (तेनाली रामा) दरबार से अपने घर वापस आया, तो उसने देखा कि उसके बगीचे में कुएँ के पास बड़े आम के पेड़ के पीछे दो आकृतियाँ छिपी हुई हैं।

अब तेनाली रामा को ये भली-भाँति मालूम पड़ गया था की ये कोई ओर नहीं बल्कि वहीं चोर हैं। जो यहाँ चोरी करने आया है  उसने उन चोरों को सही सबक सीखाने के बारे में सोचा।  वह घर पहुँचकर अपनी पत्नी के साथ ज़ोर -ज़ोर से बातें करने लगा, जिससे की वो चोर लोग उनकी बातों को सुन सके। 

वह अपनी पत्नी से क्या कह रहा था :”..। हमारे गहने घर पर रखना सुरक्षित नहीं है। कृपया हमारे लोहे के ट्रंक को अपने गहनों से भर दें और वो लोग उन्हें सुरक्षित रखने के लिए कुएं में गिरा देंगे !”

ये बातें सुनकर लुटेरों ने एक बेवकूफ की योजना के विचार पर चुटकी ली। उन्हें लगा की यह तेनाली राम कितना ही ज़्यादा मूर्ख व्यक्ति है। तभी  तेनाली रामा ने अपनी पत्नी को फुसफुसाया कि चोर बगीचे में छिपे हुए हैं। साथ ही उसने  अपनी पत्नी से  ट्रंक को पत्थरों और बर्तनों से भरने के लिए कहता है।

एक बार ट्रंक भर जाने के बाद, तेनाली राम और उसकी  पत्नी ने ट्रंक को खींचकर कुएँ में गिरा दिया।”तब तेनाली रामा ने अपनी पत्नी से कहा यह ट्रंक यहाँ सुरक्षित रहेगा!” उसने अपनी पत्नी को जोर से कहा।

दोनों चोर घर में लोगों के सोने का इंतजार कर रहे थे। उनके पास एक योजना थी! प्रत्येक लुटेरा बारी-बारी से कुएँ से पानी निकालने लगा।

दोनों चोरो का उत्साह जल्द ही थकान में बदल गया और उन्होंने थोड़ा विश्राम करने  का फैसला किया। तभी पास ही से  किसी ने कहा: “बस इतना ही! इस tarike से ट्रंक kese milega और  बगीचे में पानी भी  भर गया है, तुमने दिन के लिए अच्छा काम किया है! अब मुझे बगीचे में पानी भरने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी ”।यह शब्द  तेनाली रामा के थे  

लुटेरों ने जब इधर-उधर देखा तब उन्हें तेनाली रामा पीछे फावड़ा और डंडा पकड़े हुए दिखाyi  दिया । उसे देखकर वो चौंक गए, वो उठे और भाग गए! कुछ समय बाद, विजयनगर के लोगों ने किसी लूट की शिकायत न ही कीऔर न ही सुनी।

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