Needle Tree Story : बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से पंचतंत्र की कहानी (सुई देने वाली पेड़ की कहानी) एक ऐसी कहानी थी, जो लगभग सभी को पसंद आती थी।
तो यहां हम आपको वहीं The Needle Tree Story (सुई देने वाली पेड़ की कहानी) बताने वाले है। तो इस The Needle Tree Kahani को अंत तक जरूर पढ़ें।
सुई देने वाली पेड़ की कहानी – Needle Tree Story
बहुत समय पहले की बात है एक जंगल के पास ही दो भाई रहा करते थे। इन दोनों में से जो बड़ा भाई था वो सभी के साथ बहुत ही ख़राब बर्ताव किया करता था छोटे भाई के साथ भी वह बहुत बुरा बर्ताव करता था। जैसे की वो प्रतिदिन अपने छोटे भाई का सारा खाना खा लेता था और साथ में छोटे भाई के नए कपड़े भी खुद ही पहन लेता था।
एक दिन बड़े भाई ने यह तय किया की वह पास ही के जंगल में जाकर कुछ लकड़ियाँ काट कर लाएगा जिससे की वह बाद में उन लकड़ियो बाज़ार में बेच देगा और उससे कुछ पैसे मिल जायेंगे ।
जैसे ही बड़ा भाई जंगल में गया उसने वहां बहुत से पेड़ काटे, फ़िर ऐसे ही बड़ा भाई ने एक के बाद एक पेड़ काटते हुए, एक जादुई पेड़ से ठोकर खाई।
ठोकर लगने के बाद पेड़ ने बड़ा भाई से कहा-अरे मेहरबान सर। कृपया करके मेरी शाखाएं मत काटो। अगर तुम मुझे छोड़ दोगे तो मैं तुम्हें एक सुनहरा सेब दूंगा। बड़ा भाई उस समय सहमत हो गया, लेकिन उसके मन में लालच जागृत हुआ। बड़ा भाई ने पेड़ को धमकी दी कि अगर उसने उसे ज्यादा सेब नहीं दिए तो वह पूरा धड़ काट देगा।
यह सुनकर जादुई पेड़ ने बड़े भाई को सेब देने के बजाय बड़े भाई के ऊपर सैकड़ों सुइयों की बौछार कर दी। इससे बड़ा भाई दर्द के मारे जमीन पर लेटकर रोने लगा।
अब दिन धीरे धीरे ढलने लगा, दूसरी तरफ छोटे भाई को चिंता होने लगी। इसलिए वह अपने बड़े भाई की तलाश में जंगल चला गया। छोटे भाई ने उस जादुई पेड़ के पास अपने बड़े भाई को दर्द में पड़ा हुआ देखा , तो बड़े भाई के शरीर पर सैकड़ों सुई चुभी हुई थी। छोटे भाई के मन में दया आई, वह अपने भाई के पास पहुंचकर, धीरे- धीरे हर सुई को प्यार से हटा दिया।
ये सभी चीज़ें बड़ा भाई देख रहा था और बड़ा भाई को अपने आप पर गुस्सा आ रहा था। अब बड़े भाई ने छोटे भाई के साथ बुरा बर्ताव करने के लिए छोटे भाई से माफी मांगी और बेहतर होने का वादा भी किया। पेड़ ने बड़े भाई के दिल में आए बदलाव को देखा औरउन दोनों भाईयों को वह सब सुनहरे सेब दे दिए जितने की उन दोनों भाईओं को आगे चलकर जरुरत होने वाली थी।