पंचतंत्र की कहानी: खरगोश और चूहा – Khargosh aur Chuhe ki Kahani

Rabbit And Rat Story – दोस्तों, डर एक ऐसी चीज है जो सब में होती है। चाहे वो इंसान हो या जानवर, सबको किसी ना किसी चीज से डर लगता है। लेकिन यही डर जब हद से ज्यादा बढ़ जाता है। तो इंसान तो क्या जानवर भी कहीं का नहीं रह जाता। तो आइये जानते हैं, एक ऐसे हीं डरपोक जानवर की कहानी Khargosh aur Chuhe ki Kahani खरगोश और चूहा की कहानी।

Khargosh aur Chuhe ki Kahani
Rabbit And Rat Story

यहां हम आपको Khargosh aur Chuha Ki Kahani (खरगोश और चूहा की कहानी) बताने वाले है। तो इस Rabbit And Rat Story in Hindi को अंत तक जरूर पढ़ें।

खरगोश और चूहा की कहानी – Rabbit And Rat Story

एक बार एक जंगल हुआ करता था, जंगल में भिन्न-भिन्न प्रकार के जानवर रहा करते थे। कोई दिखने में बड़ा विशाल जानवर था,तो कहीं कोई छोटा जानवर था। लेकिन इसके बावजूद उस जंगल में,कभी कोई बड़ा जानवर अपनी शक्ति का गलत प्रयोग नहीं करता था। कभी कोई बड़ा जानवर,अपनसे से छोटे जानवरों को सताता नहीं था।

लेकिन इसके बावजूद कुछ जानवर ऐसे थे,जो बिना मतलब के डरते थे। खरगोश उन्हीं जानवरों में से एक था। जो उस जंगल का सबसे डरपोक जानवर था। खरगोश जहाँ रहता था, वहां अगर कोई छोटी सी भी हलचल होती थी,तो वो डर जाता था। अगर वहां कोई जानवर गलती से भी आ जाता, तो खरगोश के रौंगटे खड़े हो जाते और वो डर का भाग जाता।

खरगोश ने अपने डर के कारण कई बार अपना स्थान भी बदला था। लेकिन वो जहाँ भी जाता,कोई ना कोई जानवर उसे मिल हीं जाता और उस जानवर की आहट से खरगोश के पसीने छूट जाते।

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खरगोश को गाजर खाना बड़ा अच्छा लगता था और वो हर बार एक खेत में गाजर खाने जाता था। लेकिन उसी खेत में एक हिरण भी रहता था और जब भी खरगोश हिरण को देखता मारे डर के वहां से भाग जाता।  हिरण एक शाकाहारी जानवर था,इसके बावजूद उसे देखकर खरगोश मारे डर से सिहर जाता। धीरे-धीरे समय बीता और खरगोश का डर और बढ़ता गया। उसके मन में हिरण का डर इतना बढ़ गया कि,अब उसने गाजर खाना हीं छोड़ दिया और वो अब अपने डर के कारण भूखा रहने लगा।

जब वो भूख से बेचैन हो उठा,तो उसने सोंचा कि “ये जिंदगी भी कोई जिंदगी है। जहाँ डर के आलावा कुछ भी नहीं। ऐसी जिंदगी के अच्छा तो मर जाना बेहतर है। हे ऊपर वाले ! तूने मुझे ऐसी जिंदगी क्यों दी?” यह सोंच कर खरगोश ने मरने का फैसला कर लिया और नदी में डूबकर मरने के लिए,नदी की ओर बढ़ने लगा। 

फिर क्या था ? खरगोश नदी के पास पहुंचा और मरने से पहले भगवान से प्रार्थना करने लगा। तभी वहां एक चिड़िया उड़ती हुई आई और खरगोश को प्रार्थना करते हुए देख कर चौंक गई। खरगोश को देख कर उसने कहा…”क्यों भाई खरगोश,इस समय भगवान जो क्यों याद कर रहे हो?” जिसके जवाब में खरगोश ने कहा कि…”मुझसे बात मत करो मैं इस जंगल का सबसे डरपोक जानवर हूँ। इसलिए मुझे जीना का कोई हक़ नहीं। मेरा मर जाना हीं अच्छा है।”

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खरगोश की इस बात को सुनकर,चिड़िया जोर-जोर से हंसने लगी और उसने कहा…”मैंने इस जंगल में तुमसे भी डरपोक जानवर देखे हैं।” यह सुनकर खरगोश को बड़ी हैरानी हुई और वो ये सोंचने लगा कि,क्या इस जंगल में कोई उससे भी डरपोक जानवर है?

फिर खरगोश ने चिड़िया से कहा…”मुझे भी उन जानवरों को देखना है।”  तब चिड़िया ने कहा…”अगर मैं तुमको उन जानवरों को दिखाऊं,तो क्या तुम मरने का प्लान कैंसल कर दोगे?”  यह सुनकर खरगोश मान गया और चिड़िया के साथ निकल पड़ा। चलते-चलते चिड़िया खरगोश को उसी खेत में ले गई,जहाँ खरगोश गाजर खाने जाता था।

जहाँ पहले से हिरण मौजूद था और चिड़िया ने खरगोश को हिरण को छुप कर देखने को कहा। खरगोश हिरण को छुप कर देखता रहा,तभी वहां एक लकड़बग्घा आया और उसे देख कर हिरण डर के मारे भाग गया।

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यह देख कर खरगोश बिल्कुल चौंक गया। उसे यकीन हीं नहीं हुआ कि,जिस हिरण से वो अब तक डरता आया था…वो भी किसी दूसरे जानवर से डरता है। इसके बाद चिड़िया ने खरगोश से कहा…”अब मैं तुम्हे एक ऐसे जानवर के पास ले जाउंगी,जिसको तुमसे डर लगता है।” यह सुनकर खरगोश को बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ कि,क्या कोई जानवर उससे भी डर सकता है? और वो फिर उस चिड़िया के साथ चल पड़ा।

चिड़िया खरगोश को एक पहाड़ी के पास ले गई,जहाँ बहुत सारे चूहे इधर उधर-उधर घूम रहे थे। तभी उस चिड़िया ने खरगोश को उन चूहों के पास जाने को कहा और जैसे हीं खरगोश उन चूहों के पास गया। सारे चूहे खरगोश को देख कर डर गए और इधर-उधर भागने लगे। यह देख खरगोश एकदम चौंक गया और उन जानवरों को देख कर उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ।

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जैसे हीं सारे चूहे अपनी-अपनी बिलों में चले गए,वैसे हीं खरगोश ख़ुशी से झूम उठा और नाचने लगा। तभी चिड़िया ने खरगोश से कहा…”इस जंगल में हर जानवर अपने से बड़े जानवर से डरता है। जैसे कीड़े चूहे से डरते हैं,चूहा तुमसे डरता है,तुम हिरण से डरते हो,हिरण लकड़बग्गे से डरता है,लकड़बग्घा शेर से डरता है और शेर शिकारी से डरता है। अगर सब डर के मारे मरते रहे,तो एक दिन सभी जानवर मर जाएंगे और जंगल सुना हो जाएगा।” यह बोलकर चिड़िया उड़ गई और खरगोश को बहुत पछतावा हुआ।

खरगोश को जंगल के नियम समझ आ गए थे और उसने अपने आप को स्वीकार लिया था। इस घटना के बाद खरगोश के मन में अपने लिए कभी भी कोई हीन भावना नहीं आई और उसने जिंदगी जीना सीख लिया। फिर क्या था ? खरगोश ने अंदर से डर खत्म हो गया, उसने हिरण समेत हर जानवर से डरना छोड़ दिया और खुल कर उस खेत में गाजर खाने लगा।

शिक्षा (Moral of Story)

इस खरगोश और चूहा की कहानी (Khargosh aur Chuha ki Kahani) से हमें ये सीख मिलती है कि, डर हमें अंदर से कमजोर बना देता है और हमें कभी आगे बढ़ने नहीं देता। इसलिए जीवन में तरक्की करने के लिए डरना छोड़ दो। खरगोश की कहानी हमें ये बताती है कि, डर सिर्फ और सिर्फ मन का भ्रम होता है।

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