Lion and Jackal Story दोस्तों बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से पंचतंत्र की कहानी (शेर और सियार की कहानी) एक ऐसी कहानी थी, जो लगभग सभी को पसंद आती थी।
दोस्तों कहते हैं कि इंसान को हमेशा अपनी मर्यादा में रहना चाहिए और कभी भी ज्यादा बढ़-चढ़कर नहीं बोलना चाहिए। यही नहीं व्यक्ति को शक्ति से अधिक कार्य करने का दावा भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि कई बार सीमा से बढ़कर किया गया कार्य, हमें नुकसान दे जाता है।
तो यहां हम आपको वहीं Sher aur Siyar ki Kahani (शेर और सियार की कहानी) बताने वाले है। तो इस The Lion And The Jackal Story को अंत तक जरूर पढ़ें।
शेर और सियार की कहानी – Sher aur Siyar ki Kahani
दोस्तों, एक बार एक बड़ा ही विशाल जंगल हुआ करता था। जंगल में भिन्न-भिन्न प्रकार के प्राणी रहा करते थे। लेकिन एक दिन उस जंगल में एक सियार आ गया, जो जंगल के जानवरों को परेशान करने लगा। वो कभी हिरण के बच्चे को वहां से भगा ले जाता, तो कभी हाथी के बच्चों को परेशान करता। यही नहीं ! वह जिराफ और भालू आदि को भी सताने लगा।
धीरे-धीरे उस सियार का जंगल में आतंक बढ़ने लगा। सारे पशु – पक्षी उससे डरने लगे और सब उससे बचकर रहने लगे। लेकिन एक दिन जानवरों ने यह निश्चय किया कि, सियार का आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसका इलाज करना भी जरूरी है । अगर इसका आतंक इसी प्रकार से बढ़ता रहा,तो एक दिन सियार हमारी कमजोरी का फायदा जरूर उठाएगा। इसलिए हमें अभी सियार के खिलाफ कोई कार्यवाही करनी चाहिए।
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लेकिन सियार तो ठहरा चालक जानवर। सिर्फ चालक ही नहीं, सियार में फुर्ती और ताकत भी बहुत होती है। इसलिए उसको समझाना,डरना और जंगल से मार कर भगाना…किसी आम जानवर के बस की बात नहीं। इसलिए सभी जानवरों ने मिलकर यह फैसला किया कि वह सियार की शिकायत जंगल के किसी ताकतवर प्राणी से करेंगे। इस बात पर जानवरों ने घंटो वाद-विवाद किया और उन्होंने यह निश्चय किया कि,वे सियार की शिकायत वे शेर से करेंगे ।
लेकिन शेर तो सियार से भी बड़ा विशाल और घातक जानवर होता है। आखिर शेर के पास जाए कौन ? इस बात पर जानवर बड़ी देर तक बहस करते रहे। हिरण कहता भालू को जाना चाहिए,भालू कहता जिराफ को जाना चाहिए और जिराफ कहता की हाथी को जाना चाहिए। लेकिन किसी भी जानवर में यह हिम्मत नहीं थी, जो कह सके कि मुझे जाना चाहिए।
तभी जानवरों के भीड़ में से एक छोटा सा खरगोश निकला और उसने कहा कि, वह शेर के पास जाएगा। वो सियार की शेर से शिकायत करेगा । खरगोश की इस हिम्मत को देखकर सारे जानवर चौंक गए।कुछ जानवरों को तो ऐसा लगा कि, खरगोश मजाक कर रहा है।
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लेकिन खरगोश मजाक नहीं कर रहा था। वह अगले दिन सच में शेर से शिकायत करने के लिए निकल पड़ा और अन्य जानवर भी उसके पीछे-पीछे आने लगे। जब खरगोश शेर की गुफा के पास पहुंचा,तो वहां अपनी गुफा के बाहर शेर सो रहा था। लेकिन जब शेर ने खरगोश के आने की आहट सुनी, तो उसकी आंख खुल गई और जब उसने अपने आगे खरगोश को देखा तो वह चौंक गया।
यह देखकर शेर ने खरगोश से कहा “क्यों भाई तुम्हें मुझसे डर नहीं लगता क्या? या तुम जिंदगी से तंग आ गए हो ?” यह सुनकर खरगोश ने कहा “महाराज, आप इस जंगल के राजा हैं और हम आपकी प्रजा हैं। प्रजा का यह हक बनता है कि, वह अपनी समस्या राजा के पास आकर बताए।”
यह बात सुनकर शेर थोड़ा परेशान हो उठा और उसने कहा “आखिर कहना क्या चाहते?” हो तभी खरगोश ने अपने पीछे खड़े अन्य जानवरों की ओर इशारा करते हुए कहा.. “मैं अकेला नहीं आया हूं,बल्कि मेरे साथ कई जानवर आए हैं। हम लोग बहुत दिनों से एक सियार से परेशान है । जो अक्सर हमें और हमारे बच्चों को परेशान कर रहा है। लेकिन हम में से कोई भी उसका सामना नहीं कर सकता। कृपया आप हमें उसे सियार से बचाइए।
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यह सुनकर शेर को काफी गुस्सा आया कि उसके जंगल में उसके होते हुए उसके जानवरों को कौन परेशान कर रहा है? और वह अगले दिन सियार की खोज में जंगल में निकल पड़ा।
तभी शेर को जंगल के बीचो-बीच वही सियार दिखा और जैसे ही शेर सियार की ओर बढ़ा सियार समझ गया तथा वहां से भागने लगा। शेर भी उसका पीछा करने लगा और तभी कुछ देर की भागा दौड़ी के बाद शेर ने सियार को दबोच लिया। शेर की गिरफ्त में खुद को पाकर, सियार गिड़गिड़ाने लगा और वह शेर के चरणों में पड़ गया।
सियार ने कहा “महाराज, मेरी जान बख्श दीजिए।” इस पर शेर ने कहा ” मैं तुम्हारी जान बख्श दूंगा,लेकिन तुम मुझे वचन दो कि तुम यह जंगल छोड़कर चले जाओगे और यहां के जानवरों को दोबारा कभी परेशान नहीं करोगे।”
यह सुनकर सियार गिड़गिड़ाने लगा और उसने कहा…” महाराज ! अगर में जंगल छोड़कर चला गया,तो मैं भूखा मर जाऊंगा।” कृपया आप मुझे अपने साथ रख लीजिए। आप जो शिकार करेंगे, उसका बचा हुआ मांस मैं भी खा लिया करूंगा । यह सुनकर शेर को शिकार पर दया आ गई और उसने सियार को अपने साथ रख लिया। दिन पर दिन बीतते चले गए, सियार शेर के साथ रहता और उसके साथ मांस खाता खाता काफी ताकतवर हो चुका था।
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अब उसे यह लगने लगा था कि वह शेर से ज्यादा शक्तिशाली है । इसलिए उसने शेर से कहा कि “महाराज, आज देखना मैं हाथी का शिकार कैसे करता हूं?” तभी शेर ने सियार को समझाया कि…” तुम हाथी जितने शक्तिशाली नहीं हो। तुम अपनी शक्ति को पहचानो और अपनी बराबरी के जानवरों का शिकार करो।” लेकिन सियार नहीं माना और हाथी से भिड़ने निकल पड़ा।
चालाकी से शेर एक पेड़ के ऊपर चढ़ गया और जैसे ही उसके नीचे हाथी आया, शेर उसे पर झपट पड़ा। पहले कुछ देर तो ऐसा लगा जैसे, सियार हाथी को खा हीं जाएगा। लेकिन हाथी ने सूंड से उसको पकड़ा और नीचे दबा दिया। जैसे ही हाथी ने सियार के ऊपर अपना एक पांव रखा, सियार के प्राण पखेरू उड़ गए और सियार जान से मारा गया।
शिक्षा (Moral of Story)
इस शेर और सियार की कहानी (Sher aur Siyar ki Kahani) कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि, इंसान को कभी भी अपनी सीमा से बाहर नहीं निकलना चाहिए और कभी भी अपनी शक्ति से ज्यादा कार्य करने का दावा नहीं करना चाहिए। अगर सियार अपने बराबर के प्राणियों का शिकार करता तो शायद आज वह जिंदा होता।