आलसी गधे की कहानी – Lazy Donkey Story in Hindi

Lazy Donkey Story दोस्तों बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से आलसी गधे की कहानी (Aalsi Gadha ki Kahani) एक ऐसी कहानी थी जो लगभग सभी को पसंद आती थी।

तो यहां हम आपको वहीं Lazy Donkey Story in Hindi बताने वाले है। तो इस Aalsi gadha story in Hindi (Donkey moral story in hindi) को अंत तक जरूर पढ़ें।

आलसी गधे की कहानी – Lazy Donkey Story in Hindi

Lazy Donkey Story in Hindi, Lazy Donkey Story

एक समय की बात है, शिवराजपुर गाँव में, श्याम अपने गधे कालू के साथ रहता था। श्याम, अपने गधे पर  सामान भरकर शहर में ले जाकर बेचता था, श्याम कालू का ध्यान  भी अच्छे से रखता था। वह उसे अच्छा खाना खिलाता और ज्यादा बोझ भी नहीं डालता, ताकि कालू थक ना जाए। लेकिन इसके बावजूद, कालू बहुत आलसी था, वह अक्सर बीच रास्ते में सो जाता और श्याम को उसे घसीट कर ले जाना पड़ता।

श्याम को कालू की आदतें पता थी, लेकिन उसके पास एक ही गधा था, इसलिए उसे काम कराना ही पड़ता था, इसलिए रोज़ उसे जैसे-तैसे  काम करवाने ले जाता।

एक दिन जब श्याम कालू के साथ सामान लेकर जा रहा था, तो कालू आसपास देख रहा था और उसे हरी-भरी घास दिख रही थी, तो वह वहीं घास खाने लगा और खास खाने के बाद उसे आलस्य आ गया, और वहीं सो गया। श्याम ने उसे जगाने  की  बहोत कोशिश की, लेकिन वह जागा ही नहीं।

तभी वहां से, एक मुसाफिर जा रहा था, वह देख रहा था कि श्याम अपने गधे को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वो चलने के लिए तैयार नहीं था, वह मुसाफिर ये देखते देखते आगे बढ़ गया, पर थोड़ी देर बाद, दौड़ते हुए वापस आया, और जब श्याम ने उससे कारण पूछा तो उसने बताया कि, आगे एक शेर खड़ा था, जो लोगों को अपना शिकार बना रहा था, इस गधे की वजह से श्याम आगे नहीं बढ़ पाया और बच गया था।

मुसाफिर को कालू (गधा) चमत्कारी लग रहा था, क्योंकि उसने अपने मालिक की जान बचाई थी, मुसाफिर ने श्याम से कहा की, यह गधा भविष्य को जान सकता है, इसलिए मुसाफिर ने गधे को खरीदने की बात कही। यह सुनकर गधा मन ही मन खुश होने लगा कि अगर यह मुसाफिर उसे खरीद लेगा तो, उसे चमत्कारी मानकर कोई काम नहीं करवाएगा, इसलिए वह मुसाफिर के पास जाकर उसे चाटने लगा।

पर श्याम को पता था कि यह गधा बस आलसी (Lazy Donkey) है, पर मुसाफिर कोई बात सुनने को तैयार नहीं था, श्याम ने भी गधे के अच्छे धाम  लेकर उसे मुसाफिर को बेच दिया।

मुसाफिर ने गधे को ले जाकर उसकी बड़े अच्छे से खतिरदारी की, उसे अच्छा-अच्छा खाना खिलाया, गधा भी बड़ा खुश था क्योंकि अब उसे कोई काम नहीं करना पड़ रहा था, कुछ दिन ऐसे ही खुशी-खुशी बीते। फिर एक दिन मुसाफिर ने गधे से पूछा कि वह उसे भविष्य बता सकता है कि कौनसी ज़मीन में पानी है? पर गधा तो अपनी जगह से हिलने को राजी नहीं था।

सारा दिन बस सोता रहता ना कुछ काम करता और ना ही कोई चमत्कार किया, धीरे-धीरे मुसाफिर को समझ आ गया कि यह गधा चमत्कारी नहीं बल्कि आलसी है, और उसके बाद मुसाफिर ने उठाई छड़ी और दी गधे की पीठ पर, और ढेर सारा सामान भरकर उसे काम करवाने लगा। अब गधे को भी समझ आ गया था कि उसने अपनी आलस्य में श्याम जैसे अच्छे मालिक को खो दिया था।

शिक्षा (Moral of Story)

इस Aalsi Gadha ki Kahani कहानी से हमें ये सीख मिलती है की आलस आपको कुछ समय के लिए आराम तो दे सकती है, पर आने वाले अच्छे भविष्य को नहीं, इसलिए मेहनत करें और आगे बढ़ें।

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