चींटी और कबूतर की कहानी – Ant and Dove Story in Hindi

Ant and Dove Story दोस्तों बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से चींटी और कबूतर की कहानी (Chiti aur Kabootar ki Kahani) एक ऐसी कहानी थी जो लगभग सभी को पसंद आती थी।

तो यहां हम आपको वहीं Ant and Dove Story in Hindi बताने वाले है। तो इस Ant and Dove Story in Hindi (Ant and Pigeon Story) को अंत तक जरूर पढ़ें।

चींटी और कबूतर की कहानी – Ant and Dove Story

Ant and Pigeon Story
Ant and Dove Story

दोस्तों, लालच, झूठ और धोखे जैसी बुरी आदतें सिर्फ हम इंसानों में ही नहीं होती बल्कि कई बार पशु-पक्षी भी इन बुरी आदतों का शिकार हो जाते हैं। एक बार एक जंगल मे एक कबूतर को भी यही गन्दी आदत लग गई थी। कबूर इतना लालची हो गया कि,दूसरे शाकाहारी जानवरों का आनाज खा के फुर्र हो जाता।

उसी जंगल में एक चींटी भी रहा करती थी। जो दिन भर उस जंगल में घूम-घूम कर अपने बच्चों के लिए अनाज इकठ्ठा करती थी। लेकिन वो लालची कबूतर,उस चींटी का भी सारा अनाज खा जाता। इस बात से चींटी इतनी परेशान हो गई कि,एक दिन उसने जंगल के राजा शेर से कबूतर की शिकायत कर दी।

जिसके बाद शेर ने अपने दरबार में कबूतर को बुलाया और उससे कहा कि…”अगर अगली बार तुमने किसी दूसरे का अनाज खाया,तो तुम्हे जंगल से बाहर निकाल दिया जाएगा।” यह सुन कर कबूतर काफी घबरा गया और राजा शेर से माफी मांग कर वह से चला गया।

लालच एक ऐसी गन्दी आदत है, जो एक बार लग जाती है…तो फिर दुबारा कभी नहीं छूटती। तो उस कबूतर एक साथ भी कुछ ऐसा हीं हुआ। कुछ दिन तक तो कबूतर ठीक रहा,लेकिन बड़ी जल्दी ही उसने अपने असली रंग दिखाने शुरू कर दिए। वो फिर से दूसरे जानवरों का अनाज खाने लगा और उस चींटी को फिर से सताने लगा। जिसके बाद फिर से उस चींटी ने,शेर से कबूतर की शिकायत कर दी और इस बार शेर ने कबूतर को जंगल से बाहर निकलने का आदेश दे दिया।

फिर क्या था? कबूतर उन जानवरों के आगे खूब रोया गिड़गिड़ाया और राजा शेर से भी माफी मांगी। लेकिन उसे किसी ने भी माफ़ नहीं किया और अंत में उसे जंगल छोड़कर बाहर जाना पड़ा।

कुछ दिन तक तो, कबूतर यूँ हीं परेशान होकर दूसरे जंगलों में घूमता रहा। लेकिन अनाज की कमी के कारण, उसे इंसानों की बस्ती में जाना पड़ा। जहाँ वो दूसरे के छतों पर सूखते गेहूं को चट करने लगा। इस तरह इंसानों की बस्ती में कबूतर काफी खुश रहने लगा,लेकिन अब उसके अंदर लालच के साथ साथ-साथ बदले की भावना भी आ गई थी।

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वो मन ही मन उन जानवरों को अपना दुश्मन मान बैठा,जिन्होंने उसे जंगल से बाहर निकलवाया था। एक दिन कबूतर ऐसे हीं किसी की छत के मुंडेर पर बैठा था। जहाँ उसने घर के आँगन में जलती हुई लकड़ी से खाना बनते देखा और उसके दिमाग में उस जंगल को जलाने का आइडिया आया। फिर क्या था? रात हुई और कबूतर उस जलती हुई लकड़ी के एक छोटे तिनके को अपने चोंच में दबा कर जंगल की ओर उड़ गया।

कबूतर ने उस जलते हुए तिनके को जंगल के सूखे पत्तों पर डाल दिया और वो एक छोटा सा जलता तिनका बड़ी आग में बदल गया। आग धीरे-धीरे पूरे जंगल में फैलने लगी और यह देख कर कबूतर काफी खुश हुआ।

लेकिन कबूतर की उस हरकत को चींटी ने देख लिया था। चींटी भागकर हांथी के पास गई और हांथी को सारी बात बता दी। जिसके बाद हांथी तालाब के पास गया और अपनी सूंड में पानी भरकर उस आग को बुझा दिया। इस प्रकार उस चींटी की सूझबूझ के कारण जंगल में बहुत बड़ी अनहोनी होने से टल गई और अगले दिन राजा शेर ने चींटी की खूब तारीफ की।

लेकिन अभी उस कबूतर का गुस्सा शांत नहीं हुआ था और वो जंगल वालों से बदले की अलग-अलग तरकीबें सोंचने लगा। तभी कबूतर को किसी के छत पर नीले पेंट का डब्बा दिखा और उसे अपने रूप-रंग को बदलने का आइडिया आया। फिर क्या था? कबूतर उस पेंट के डब्बे में कूद गया और सफेद से नीला हो गया। इस तरह अपना वेश बदल कर कबूतर उस जंगल में फिर से घुस गया।

अगली सुबह जब जंगल के जानवरों ने आसमान में नीले रंग के कबूतर को उड़ते देखा तो उन्हें बड़ी हैरानी हुई। क्योंकि आज तक उन्होंने नीला कबूतर नहीं देखा था। जिसके बाद वो कबूतर एक पेड़ की टहनी पर बैठ गया और उसने जानवरों से कहा कि…”मैं एक आसमानी कबूतर हूँ, इसीलिए मेरा रंग नीला है। मुझे आसमान से भगवान ने तुम सबका उद्धार करने के लिए भेजा है।”

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जंगल के सभी जानवर उसकी बातों को सच मान बैठे और उस कबूतर को हाथ जोड़कर प्रणाम करने लगे। यह देख कर कबूतर अंदर हीं अंदर काफी खुश हुआ और उन जानवरों को भगवान के नाम पर ज्ञान देने लगा।

फिर क्या था ? वो कबूतर रोज ऐसी मण्डली जमाता और जानवरों को भगवान की कहानियां सुनाता। उसकी बातों को सुनकर जानवर काफी खुश होने लगे और उसे चढ़ावें में अनाज चढ़ाने लगे। कबूतर को तो यही चाहिए था। उसे सम्मान और अनाज दोनों मिलने लगा।

लेकिन चींटी को उस कबूतर पर शक था और वो अंदर हीं अंदर उस कबूतर की सच्चाई बाहर लाने की प्लानिंग करने लगी। उधर कबूतर रोज जानवरों को कथा सुनाता और जानवर रोज उससे प्रवचन सुनते। लेकिन हद तो तब हो गई,जब जंगल का राजा शेर भी उस प्रवचन में शामिल होने लगा और उस कबूतर को प्रणाम करने लगा।

यह देख कर कबूतर का उत्साह और बढ़ गया। क्योंकि अब उसे शेर प्रणाम किया करता है। समय बीतता गया,महीने गुजरते गए और कबूतर की ख्याति ऐसी हीं बढ़ती गई। लेकिन चींटी उस कबूतर का पर्दाफाश नहीं कर पाई। लेकिन एक दिन तंग आकर,चींटी शेर के पास गई और अपने मन की बात को साझा किया।

चींटी से शेर से कहा कि “राजा शेर ! मुझे शक है कि,वो कबूतर नीला कबूतर नहीं है। बल्कि वो वही लालची कबूतर है,जिसको हमने जंगल से बाहर निकाला था।

चींटी की इस बात को सुनकर शेर जोर-जोर से हंसने लगा और उसने कहा कि…”तुम्हे सिर्फ शक है,बल्कि मुझे तो यकीन है। वो कोई नीला कबूतर नहीं,बल्कि वही कबूतर है।”

शेर की इस बात को सुन चींटी को काफी हैरानी हुई और उसने कहा कि “अगर आप उस कबूतर की सच्चाई जानते हैं,तो उसे दंड क्यों नहीं देते?”

जिसके जवाब में शेर ने बड़ी अच्छी बात कही। शेर ने कहा कि “मैं तो उस कबूतर को उसी वक्त पहचान गया था। लेकिन अब वो भगवान का नाम लेता है,लोगों को अच्छी सीख देता है और उतना हीं अनाज खाता है जितना उसे चढ़ावा मिलता है।उसे लगता है वो हमें मुर्ख बना रहा है, लेकिन उसे नहीं पता कि वो अब सुधर चुका है।”

शिक्षा (Moral of Story)

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि सुधार के लिए हमेशा दंड देना अनिवार्य नहीं होता। बिना किसी सजा के भी बुरे प्राणियों को सुधारा जा सकता है।

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