बीरबल का आधा इनाम (अकबर-बीरबल की कहानी) – Birbal ka Adha Inam

Akbar Birbal Stories दोस्तों बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से अकबर-बीरबल की कहानी (Akbar Birbal Story in Hindi) एक ऐसी कहानी थी, जो लगभग सभी बच्चों को पसंद आती थी।

तो यहां हम आपको वहीं Akbar Birbal ki Kahani (बीरबल का आधा इनाम) बताने वाले है। तो इस Birbal ka Adha Inam कहानी को अंत तक जरूर पढ़ें।

बीरबल का आधा इनाम – Birbal ka Adha Inam

Akbar Birbal stories
Akbar Birbal ki Kahani

यह उस समय की बात है जब बादशाह अकबर की बीरबल से पहली बार मुलाकात हुई थी।उस समय में  बीरबल का नाम महेश दास था। एक दिन बादशाह अकबर अपने राज्य के दौरे पर निकले तो उन्होने अपने राज्य में एक व्यक्ति की चतुराई को देख कर अत्यधिक प्रसन्न हुए। उन्होने अपने दरबार में उस व्यक्ति को आने के लिए कहा, साथ ही बादशाह ने अपनी एक अंगुठी दी।

वह व्यक्ति कोई और नहीं महेश दास (बीरबल) था। एक दिन महेश दास ने बादशाह अकबर से मिलने का विचार बनाया। बादशाह ने महेश दास को इनाम देने के लिए बुलाया भी था।

महेश दास जब महल के द्वार पर पहुँचा तो उसने देखा कि वहां पर कई सारे लोग लाइन लगाकर बादशाह से मिलने का इंतजार कर रहे है। साथ ही महेश दास ने यह भी देखा कि द्वारपाल सभी लोगो से कुछ न कुछ लेने के बाद ही अंदर प्रवेश करने दे रहा है।

यह भी पढ़ें – पहले मुर्गी आई या अंडा (अकबर-बीरबल की कहानी)

जब महेश दास महल के द्वार पर पहुंचा तो द्वारपाल ने उसे रोक दिया तो महेश दास ने बोला कि बादशाह ने उसे इनाम के लिए बुलाया है। तो द्वारपाल ने महेश दास से कुछ निशानी देने को कहा। क्योंकि राज-दरबार के अंदर जाने के लिए लोगों को कुछ सबूत दिखाना पड़ता था।

तो महेश दास ने बादशाह अकबर से मिली अंगुठी द्वारपाल को दिखाई, जिसके बाद अंगुठी को देखकर द्वारपाल के मन में लालच आ गया और वह सोंचने लगा कि “जिस व्यक्ति के पास बादशाह अकबर की अंगुठी हो उसे कितना बड़ा इनाम मिलेगा।”

द्वारपाल ने महेश दास को राज-दरबार में जाने से पहले एक शर्त रख दी कि उसे मिलने वाले इनाम में आधा हिस्सा उसे (द्वारपाल को) देगा तो ही वह उसे  महल के अंदर प्रवेश करने  देगा।

तो महेश दास ने कुछ देर सोंचने के बाद द्वारपाल की शर्त को मान कर राज-दरबार की और चले गये।

जैसे ही महेश दास बादशाह अकबर के सामने आये, तो बादशाह ने महेश दास को तुरंत पहचान लिया और पूरे दरबार में महेश दास की चतुराई की प्रसंशा की। बादशाह ने महेश दास को कहा कि “मांगो, क्या इनाम मांगना चाहते हो।”

यह भी पढ़ें – आलसी गधे की कहानी – Lazy Donkey Story in Hindi

महेश दास ने बादशाह से प्रश्न किया कि “मैं जो भी मांगू? आप मुझे वो इनाम में दोगे?” बादशाह अकबर ने जवाब दिया कि तुझे जो भी इनाम में चाहिए वो तुम बिना डरे मांग सकते हो, तुम्हे वो जरूर दिया जायेगा।

फिर महेश दास ने बड़ी अजीब मांग रखी कि “मुझे इनाम में मेरी पीठ पर 100 कोड़े से मारे जाये।”

महेश दास की इस अजीब मांग को सुनकर बादशाह अकबर और राज-दरबार के सभी लोग आश्चर्य से महेश दास की और देखने लग जाते हैं। बादशाह अकबर ने महेश दास से पूछा कि “तुम ऐसा इनाम क्यों मांग रहे हो? जिससे तुम्हे ही कष्ट हो।”

तब महेश दास ने द्वारपाल से हुई सारी बातचीत बादशाह को विस्तारपूर्वक बताई और इनाम का आधा हिस्सा द्वारपाल को देने के लिए कहा।

इस बात से बादशाह को अपने द्वारपाल पर बहुत गुस्सा आया और द्वारपाल को लालच की सजा के तौर पर 100 कोड़े मारने का सजा सुनाई।

यह भी पढ़ें – शेर और चूहे की कहानी – Sher aur Chuha ki Kahani

बादशाह अकबर महेश दास की चतुराई को देखकर महेश दास को अपने राज दरबार के लिए मुख्य सलाहकार के रुप में  नियुक्त करके बादशाह ने महेश दास के नाम को परिवर्तित कर के बीरबल रख दिया। तब से महेश दास बीरबल के नाम से प्रसिद्ध हो गये।

इस प्रकार बीरबल ने अपने चतुराई के दम पर बादशाह अकबर के राज-बरबार में हमेशा के लिए राज्य के सलाहकार के रुप में रहने लगा।

शिक्षा (Moral of Story)

इस बीरबल का आधा इनाम कहानी (Akbar Birbal Story) से हमें सीख मिलती है कि हमें हमेशा खुद पर भरोसा रखना चाहिए और छोटी से छोटी काम ईमानदारी और बिना किसी लालच के करना चाहिए।

यह भी पढ़ें – चींटी और कबूतर की कहानी – Ant and Dove Story in Hindi

Leave a Comment