पंचतंत्र की कहानी: लालची मिठाईवाला – Lalchi Mithai wala ki Story

Greedy Sweet Seller Story in Hindi दोस्तों, बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से पंचतंत्र की कहानी (Lalchi Mithai wala ki Kahani) एक ऐसी कहानी थी, जो लगभग सभी को पसंद आती थी।

तो यहां हम आपको वहीं Panchatantra Stories (लालची मिठाईवाला की कहानी) बताने वाले है। तो इस Lalchi Mithai wala Story in Hindi को अंत तक जरूर पढ़ें।

Lalchi Mithai wala Story in Hindi

लालची मिठाईवाला की कहानी – Lalchi Mithai wala Story

पंजरपुर नाम के गांव में एक पुराना पौराणिक कृष्ण जी का एक मंदिर था, जहाँ दूर दूर से भक्त उन्के दर्शन हेतु आया करते थे और श्रद्धा अनुसार उन्हें अलग अलग तरीके के प्रसाद चढ़ाया करते थे। क्योंकि गाँव काफी छोटा था इसलिए वहां मिठाई की ज्यादा दुकाने नहीं थी और जिन भी भक्तों को मिठाई अथवा चढ़ावा चढ़ाना होता था, वे सब डोलू मिठाई वाले के पास आया करते थे। क्योंकि सारे ग्राहक डोलू के पास ही आते थे इसलिए अब उसके मन में लालच पैदा हो गयी थी और अब वो मिठाइयों में मिलावट करने लगा था।

वो काजू कतली में काजू की जगह सींग ढाल देता, मिठाइयों  में देसी की जगह नकली घी का इस्तेमाल करता, इस तरह वो ग्राहकों से पूरे पैसे लेता लेकिन उन्हें खराब माल का सामान बेचा करता था। ऐसा करते हुए उसने बहुत सारे पैसे कमा लिए थे, लेकिन फिर भी उन पैसो से ना तो वो किसी की मदद किया करता था और ना ही दान किया करता था और जब भी कोई उसे से मदद मांगता वो खुद को गरीब ही बताता, यही कहता की उसके पास ही पैसे नहीं हैं। 

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एक शाम को जब सारे भक्त मंदिर में आरती के लिए जा रहे थे, तब उनमें से एक साधू आकर डोलू मिठाई वाले की दुकान के पास आकर रुक गया। डोलू मन में सोचने लगा की अब ये साधू उसे पैसे मांगेगा, इससे पहले की वो साधू उस से कुछ मांगे, उसने नाटक करना शुरू कर दिया और कहने लगा की क्या बताऊ आपको साधु महाराज मेरे खुद के हालात ठीक नहीं हैं, मेरी दुकान पे आज कल कोई नहीं आता और मेरे जितने पैसे थे वो सब एक चोर लेकर भाग गया हैं। मैं तो आपको बहोत कुछ देना चाहता हूँ, लेकिन मैं खुद ही कंगाल हूँ आपको क्या ही दे सकता हूँ?

साधू ने डोलू से पुछा की, क्या तुम ये सब सत्य कह रहे हो ?? डोलू ने हामी भरते हुए जवाब दिया की मैं आपसे सब कुछ सच ही कह रहा हूँ महाराज, मैं झूठ नहीं बोल रहा साधु महाराज, मुस्कराये और तथास्तु कहकर वहां से चले गए।

डोलू मन ही मन सोचने लगा की, उसने साधु महाराज को चकमा दे दिया और अपने पैसे भी बचा लिए। उस रात वो ख़ुशी ख़ुशी अपने घर को जा रहा था, तब रास्ते में एक चोर ने उसके सारे पैसे चुरा लिए, डोलू उस चोर को पकड़ने की बहोत कोशिश की लेकिन पकड़ ही नहीं पाया।

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दूसरे दिन, जब वो अपनी दुकान पहुंचा तो उसने देखा की, दुकान में चूहों ने हमला कर दिया हैं, इसलिए कोई भी ग्राहक उसकी दुकान में आने को तैयार नहीं हो रहा था। डोलू को कल रात की बात याद आने लगी, जब उसने अपनी लालच में आकर साधू महाराज को झूठ कह दिया था, किन्तु अब ये सब सच में हो रहा था उसके साथ। डोलू को अपनी गलती का अहसास हो रहा था, इसलिए उसने साधु महाराज को ढूढ़ने की बहोत कोशिश की, पर वो कहीं नहीं मिले। 

डोलू रोते हुए और पश्चातावे के साथ मंदिर में आ पहुंचा और वहां भगवान के सामने गिरकर कहने लगा की, आज के बाद मैं कभी भी लालच नहीं करूँगा, मैं कभी भी कोई बेईमानी नहीं करूँगा, सदैव ही लोक हित के लिए कार्य करूँगा, किसी भी साधू को अपने दरवाजे से खाली हाथ नहीं लौटने दूंगा।

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हे ईशवर मुझे मेरे पापो के लिए शमा कर दीजिये और एक और मौका दे दीजिये, जिस से मैं अपनी सारी पुराणी गलतियां सुधार सकू। डोलू अपने पश्चातावे के आंसू में डूबा ही हुआ था की, ईश्वर की मूर्ती से एक आवाज़ आयी तथास्तु, डोलू उसी वक्त समझ गया की कल रात वो साधू और कोई नहीं बल्कि स्वंयम ईश्वर ही थे, जो उसे उसकी लालच के मोह जाल से छुड़वाने के लिए आये थे।

शिक्षा (Moral of Story)

इस लालची मिठाईवाला की कहानी (Lalchi Mithai wala ki Kahani) से हमें ये सीख मिलती है, की लालच में हम स्वंयम का ही अहित कर बैठते हैं, इसलिए तो कहते हैं लालच बुरी भला हैं, इस भला से दूर ही रहना चाहिए।

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