मूर्ख बकरी की कहानी – Two Silly Goats Story in Hindi

Two Goats Story दोस्तों, अगर हम आपसे पूछें कि, इस दुनियां का सबसे शक्तिशाली जानवर कौन सा है? तो आप इसका क्या जवाब देंगे? हो सकता आपके मन में शेर, हांथी या गेंडे का नाम आए। लेकिन इस दुनियां में असली शक्तिशाली जानवर वही है, जिसके पास दिमाग है। जो अपनी बुध्दि और चालाकी के दम पर बड़े-बड़े जानवरों को भी हरा सकता है।

लेकिन अगर कोई चालक जानवर किसी मूर्ख से दोस्ती कर ले तो जान के लाले पड़ जाते हैं। तो आज हम आपको एक ऐसी हीं चालाक लोमड़ी की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिसने एक मूर्ख बकरी (Murkh Bakri) से दोस्ती कर के बहुत बड़ी गलती कर दी थी। तो आइये (Two Silly Goats Story) जानते हैं।

मूर्ख बकरी की कहानी – Two Silly Goats Story

Two Silly Goats Story
Two Silly Goats Story

एक बार एक जंगल में बड़ी चालाक लोमड़ी रहा करती थी। जो अपनी बुध्दि और अक्लमंदी के के लिए पूरे जंगल में फेमस थी। लोमड़ी अक्सर शिकार के लिए,पूरे जंगल में घूमती रहती थी और छोटे-मोटे जानवरों का शिकार किया करती थी।

लोमड़ी अक्सर छोटे जानवरों को झांसा देती,जानवर उसकी बातों में आ जाते और वो उनको मार कर खा जाती। अपनी इस अक्लमंदी पर लोमड़ी बहुत खुश रहती थी। लेकिन उसी जंगल में एक मूर्ख बकरी भी रहा करती थी,जो अपनी मूर्खता के लिए पूरे जंगल में जानी जाती थी।

बकरी इतनी सीधी थी कि कोई भी उसे पागल बना जाता था और इस वजह से उसका बहुत ज्यादा नुकसान भी हो जाता था। इस वजह से कोई भी जानवर उससे दोस्ती नहीं करता था और सारे जानवर उससे दूर भागते थे। एक दिन ऐसे हीं बकरी घास चर रही थी।

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उसी वक्त वहां वो लोमड़ी आई और उसने बकरी से कहा “मैं शिकार करके आ रही हूँ और बहुत ज्यादा थक गई हूँ। क्या तुम मेरे लिए पानी ला दोगी?”

यह सुन कर बकरी को लोमड़ी पे दया आ गई और वो लोमड़ी के लिए पानी लेने चली गई। लेकिन जब बकरी को आने में ज्यादा देरी होने लगी, तो लोमड़ी खुद पानी के के तालाश में इधर-उधर घूमने लगी। तभी लोमड़ी को एक कुआं दिखाई दिया, जिसमें पानी था। यह देख कर लोमड़ी काफी खुश हो गई। लेकिन कुँए में पानी काफी गहरा था, इसलिए लोमड़ी पानी तक पहुँच नहीं पाई और इसी चक्कर में वो कुँए में जा गिरी।

कुँए में पानी कम था इसलिए लोमड़ी डूबी नहीं और वहां उसने पानी जी भर के पिया। लेकिन अब लोमड़ी कुँए में फंस चुकी थी और वो वहां से बाहर निकलने का रास्ता खोजने लगी। लेकिन वो चाह कर भी कुँए से बाहर नहीं निकल पाई। फिर क्या था ? लोमड़ी ने कुँए के अंदर से “बचाओ ! बचाओ !” चिल्लाना शुरू कर दिया। 

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लेकिन वो कुआं बड़े सुनसान जगह पर था और वहां कोई जानवर भी नहीं आता था। इसलिए किसी ने उस लोमड़ी की आवाज नहीं सुनी। तभी वहां लोमड़ी के लिए पानी लेकर बकरी आई। लेकिन बकरी को कहीं भी लोमड़ी नजर नहीं आई। तभी उसे पास के कुँए से,लोमड़ी की आवाज आई और जब बकरी ने लोमड़ी को कुँए में देखा तो चौंक गई।

लोमड़ी को कुँए में देख कर बकरी ने कहा कि…”अरे लोमड़ी बहन ! तुम इस कुँए में क्या कर रही हो? देखो मैं तुम्हारे लिए पानी लेकर आई हूँ।”

कुँए के बाहर बकरी को देखकर, लोमड़ी काफी खुश हुई और उसने अपना दिमाग लगाना शुरू कर दिया। उस चालाक लोमड़ी ने बकरी से कहा कि…”अरे बकरी बहन ! तुम्हे नहीं पता क्या,इस जंगल में बड़ी जल्दी सूखा पड़ने वाला है? इसलिए मैं आज से इसी कुँए में रहूंगी और जम कर पानी पिऊँगी।”

लोमड़ी से ऐसी बातें सुनकर,बकरी घबरा गई और उसने कहा… “अगर जंगल में सूखा पड़ जाएगा,तो मैं कहाँ जाऊँगी?” यह सुनकर लोमड़ी ने अपनी चालाकी भरे अंदाज में कहा कि… “बकरी बहन तुम घबराओ मत, तुम मेरे साथ इस कुँए में रह सकती हो। अगर तुम चाहो तो अभी आ जाओ।” फिर क्या था ? वो मूर्ख बकरी, चालाक लोमड़ी की बातों में आ गई और उसने सीधा उस कुँए में छलांग लगा दी। 

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बकरी जैसे हीं कुँए में गिरी, लोमड़ी उस बकरी के ऊपर चढ़ गई और एक हीं छलांग में कुँए से बाहर निकल गई। अपने दिमाग का इतेमाल कर लोमड़ी बाहर आ गई और अपनी मूर्खता के चक्कर में बकरी कुँए में फंस गई।

लेकिन तभी लोमड़ी ने अपना फिर से दिमाग लगाया और उसने सोंचा कि,क्यों ना इस बकरी को अपने साथ रख लिया जाए? क्योंकि मूर्ख, लोग चालक लोगों के बड़े काम आते हैं। यह सोंचकर कर लोमड़ी ने एक रस्सी के सहारे उस बकरी को कुँए से बाहर निकाल लिया और उसका फायदा उठाने के लिए, बकरी से झूठी दोस्ती कर ली। बकरी एक बार धोखा खा चुकी थी, लेकिन उसके बावजूद उसने लोमड़ी पर भरोसा कर लिया और वो लोमड़ी के साथ रहने लगी।

लोमड़ी बकरी से सारा काम करवाती और खुद पूरे दिन आराम करती। एक तरीके से लोमड़ी ने दोस्ती की आड़ में,बकरी की मूर्खता का फायदा उठाते हुए… उसे अपना गुलाम बना लिया था। फिर क्या था ? धीरे-धीरे समय बीतता गया,लोमड़ी की चालाकी बढ़ती गई और बकरी की मूर्खता में भी इजाफा होता रहा।

ऐसे हीं एक दिन लोमड़ी शिकार कर के आई और उसने लोमड़ी से कहा…”मैं इस गुफा के अंदर सोने जा रही हूँ,जब तक मैं खुद सो कर ना उठ जाऊं तब तक मुझे मत उठाना।” यह बोल कर लोमड़ी अपनी गुफा में सोने चली गई और बकरी वहीं घास चरने लगी।

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तभी अचानक जंगल में चारों ओर अफरा तफरी मच गई और सारे जानवर इधर-उधर भागने लगे। तभी एक खरगोश भागता हुआ बकरी के पास आया और उसने कहा “जंगल में आग लग गई है,जल्दी भागो यहाँ से।” यह बोलकर खरगोश वहां से भाग गया और सभी जानवर वहां से भागने लगे।

लेकिन वो मूर्ख बकरी वहीं खड़ी रही और उसने मन में सोंचा कि “अगर वो यहाँ से भाग गई,तो लोमड़ी को बुरा लगेगा।”

अब क्योंकि उसे लोमड़ी ने उठाने से मना किया था, इसलिए वो लोमड़ी को उठाने भी नहीं गई। इस तरह लोमड़ी और बकरी दोनों उस जंगल की आग में जल कर मर गए।

शिक्षा (Moral of Story)

इस मूर्ख बकरी की कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि, कभी किसी मूर्ख पर जरुरत से ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि समय आने पर मूर्ख खुद तो मरता हीं है, साथ में हमें भी मरवा डालता है।

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