Rabbit and Tortoise Story: बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से पंचतंत्र की कहानी (कछुआ और खरगोश की कहानी) Tortoise and Rabbit Story in Hindi एक ऐसी कहानी थी, जो लगभग सभी को पसंद आती थी।
दोस्तों, जंगल में एक खरगोश रहता था, जो स्वयं को जंगल का सबसे तेज धावक मानता था। उसका मानना था कि, पूरे जंगल में उसे तेज कोई नहीं दौड़ सकता। इसलिए अक्सर वह नए-नए जानवरों को चुनौती देता रहता था। खरगोश पूरे जंगल में स्वयं को सर्वश्रेष्ठ मानता था और अपने आगे किसी को कुछ भी नहीं समझता था।
घमंड में चूर खरगोश बड़े-बड़े जानवरों को भी हारने का दावा करता था। लेकिन एक दिन उसको एक ऐसी सबक मिली, जिसके बाद उसका सारा घमंड चूर-चूर हो गया।
तो यहां हम आपको वहीं Kachua aur Khargosh Ki Kahani (कछुआ और खरगोश की कहानी) बताने वाले है। तो इस Rabbit and Tortoise Story in Hindi को अंत तक जरूर पढ़ें।
कछुआ और खरगोश की कहानी – Kachua Aur Khargosh Ki Kahani
दोस्तों बहुत पुरानी बात है। एक बार एक बड़ा ही घना जंगल हुआ करता था। जंगल में भिन्न-भिन्न प्रकार के प्राणी रहा करते थे। अलग-अलग दिखने वाले जानवर और पशु पक्षी आपस में बड़े मिलजुल कर और प्रेम भाव के साथ रहा करते थे। उस जंगल के जानवरों में कभी भी आपस में किसी बात को लेकर के झगड़ा नहीं होता था।
लेकिन वो कहते हैं ना, हर स्थान पर कोई ना कोई आकर्षण का केंद्र होता ही है। तो उस जंगल का आकर्षण का केंद्र था,एक खरगोश वह खरगोश जो दिखने में छोटा सा सफेद रंग का दो दांतों वाला बड़ा ही प्यारा जानवर था। लेकिन उसकी प्यारी सूरत के पीछे एक बड़ा ही घमंडी दिमाग काम करता था। जी हां! खरगोश पल में इधर से उधर गायब हो जाता और दूसरे जानवर देखते रह जाते।
शुरुआत में जानवर खरगोश की इस आदत की वजह से उसकी काफी तारीफ किया करते थे कि,खरगोश काफी तेज है और काफी तेज दौड़ता है। तो उन जानवरों की तारीफ ने खरगोश के दिमाग पर कुछ ऐसा असर किया कि, वह अपनी इस शक्ति को लेकर खुद पर घमंड करने लगा और उसे यह लगने लगा कि उसके जैसी दौड़ इस जंगल का कोई भी जानवर नहीं कर सकता।
लेकिन दोस्तों घमंड अच्छे-अच्छे को हारने पर मजबूर कर देता है। तो खरगोश किस खेत की मूली था? दोस्तों जिस प्रकार इंसानों में लोग घमंडी इंसान से बात नहीं करते और उससे दोस्ती नहीं रखते। उसी प्रकार जंगल में भी सभी जानवर खरगोश से धीरे-धीरे दूरी बनाने लगे। आखिर कोई घमंडी जानवर का क्यों दोस्त बनना चाहेगा? जो सिर्फ अपनी तारीफ में लीन रहता है। जो किसी को कुछ भी नहीं समझता।
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जब खरगोश को यह बात समझ में आने लगी कि, जंगल के सभी जानवर उससे दूरी बना रहे हैं। तो उसने जंगल में यह एलान करवा दिया कि,अगर उसे जंगल का कोई भी जानवर दौड़ में हरा देगा तो वह हार मान लेगा। खरगोश की इस चुनौती में भी एक तरीके से उसका घमंड झलक रहा था और अन्य सभी जानवर भी उसको भगा चुके थे।
जंगल के सभी जानवर यह तरकीब निकलने लगे कि, आखिर जंगल में कोई तो ऐसा जानवर होगा जो खरगोश को हरा सके। बहुत दिमाग लगाने के बाद भी जानवर यह सहमति नहीं बना पाए कि, आखिर कौन खरगोश को चुनौती देगा ?
तभी नदी के पानी से निकलता हुआ एक कछुआ सामने आया जिसने कहा कि, वह खरगोश को हरा सकता है। तो सभी जानवरों ने कहा कि, कछुए से तेज तो जंगल का कोई भी जानवर दौड़ लगा लेगा। आखिर वह कैसे खरगोश को हराएगा? तभी कछुए ने कहा कि, खरगोश को वह नहीं बल्कि उसका घमंड हर हराएगा।
फिर क्या था? जानवर कछुए की बात में आ गए और उन्होंने खरगोश के आगे जाकर प्रस्ताव रखा कि,कल एक दौड़ करवाते हैं जिसमें कछुआ खरगोश का प्रतिद्वंदी होगा और इस दौड़ में जो जीतेगा वही जंगल का सबसे तेज धावक कहलाएगा।
इस चुनौती को सुनकर खरगोश हंसने लगा। वह कछुए की शक्ति पर संदेह करने लगा। उसने जानवरों से कहा कि, आखिर इतना धीरे-धीरे चलने वाला इतना छोटा सा प्राणी “मुझ जैसे तेज दौड़ने वाले जानवर को कैसे हरा सकता है?” वह अंदर ही अंदर यह सोच रहा था कि,जंगल वालों को इतना अच्छा मौका मिला था और वह एक ऐसे जानवर को पकड़ कर लेकर आए हैं।
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लेकिन इन सब के बावजूद अगले दिन खरगोश दौड़ में शामिल हुआ। उस दिन जंगल का हर एक जानवर उस दौड़ को देखने के लिए मौजूद हुआ था। एक ओर कछुआ था, तो दूसरी ओर खरगोश और तुरंत ही दोनों के बीच दौड़ की शुरुआत हुई। खरगोश ने देखा की कछुआ एकदम आराम से धीरे-धीरे चल रहा है।
यह देखकर खरगोश कछुए पर हंसने लगा और वह भी धीरे-धीरे चलने लगा। खरगोश धीरे-धीरे चलकर भी कछुए से ज्यादा आगे चल पा रहा था और वह सभी जानवरों को देखते हुए हंस रहा था कि, वह कैसे जानवर को पकड़ कर लेकर आए हैं? यह सोचकर खरगोश एक पेड़ की छांव में बैठ गया और कछुए की धीमी चाल को देखा हुआ हंसता रहा।
लेकिन उस पेड़ की छांव में बैठे-बैठे खरगोश की कब आंख लग गई, उसे पता ही नहीं चला? और घंटों बाद जब खरगोश की आंखें खुली तो उसने देखा कि कछुआ दूसरी लाइन को पार कर चुका है और उस दौड़ को जीत चुका है। अंत में कछुए की बात साबित सच साबित हुई। खरगोश अपने घमंड के कारण और दूसरे प्राणी को नीचा दिखाने के कारण उसे दौड़ में हार गया।
यह देखकर जंगल के सभी जानवर कछुए के लिए ताली बजाने लगे और खरगोश का घमंड चकनाचूर हो गया।
शिक्षा (Moral of Story)
इस कछुआ और खरगोश की कहानी (Kachua Aur Khargosh Ki Kahani) से हमें यह सीख मिलती है कि, हमें कभी भी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए।