Lion and Bear Story दोस्तों, बचपन में आपने वैसे तो अनेकों शेरों की कहानियां सुनी होंगी। जहाँ कभी आपने राजा शेर तो कभी शक्तिशाली शेर की कहानियां सुनी होंगी। लेकिन क्या आपने कभी मतलबी शेर की कहानी सुनी है? एक ऐसा शेर जो सिर्फ अपने से मतलब रखता था और अपने मतलब के लिए जिंदगी जीता था। फिर एक दिन उसे बड़ी अच्छी सबक मिली।
तो यहां हम आपको वहीं Sher Aur Bhalu Ki Kahani (शेर और भालू की कहानी) बताने वाले है। तो इस Bhalu Aur Sher Ki Kahani को अंत तक जरूर पढ़ें।
शेर और भालू की कहानी – Sher Aur Bhalu Ki Kahani
एक बार एक जंगल में बड़ा हीं लालची और मतलबी किस्म का शेर रहता था। जो सिर्फ अपने काम से मतलब रखता था। वो अपने मतलब के लिए दूसरे जानवरों से दोस्ती करता था और जब उसका मतलब पूरा हो जाता,तो वो उन जानवरों का साथ छोड़ देता। ऐसे हीं उस शेर ने एक-एक करके जंगल के लगभग सभी जानवरों को धोखा दिया। फिर देर किस बात की थी? शेर अपने इस मतलबी व्यवहार के लिए पूरे जंगल में फेमस हो गया।
पूरे जंगल में शेर के मतलब के किस्से फैलने लगे और एक तरीके से अपने हरकत को लेकर,शेर पूरे जंगल में बदनाम हो गया। जिसके बाद जंगल के सभी जानवर शेर से दूर रहने लगे। शेर जहाँ भी जाता जानवर समझ जाते कि, ये अपने किसी मतलब से आया है और जानवर वहां से चले जाते।
इस तरह एक-एक कर के,शेर जंगल के सभी जानवरों के समूहों से निकाल दिया गया। अब ना तो कोई उससे दोस्ती करना चाहता था? और ना हीं कोई उसको अपने साथ रखना चाहता था। धीरे-धीरे करके जानवरों ने,शेर से बात करना भी बंद कर दिया और शेर उस जंगल में काफी अकेला हो गया। अपनी हरकतों के वहज से शेर इतना बदनाम हो गया था कि, अब तो छोटे-छोटे जानवर भी उसको इगनोर करने लगे।
लेकिन दोस्तों, जिस तरह मतलबी इंसान कभी नहीं सुधरता,उसी तरह उस शेर ने भी अपनी आदत नहीं बदली। उसे अपनी हरकतों का बिल्कुल भी पछतावा नहीं था।
पूरे जंगल में बदनाम होने के बावजूद,शेर अपनी हरकत से बाज नहीं आया और एक ऐसा जानवर खोजने लगा… जो उसे ना जानता हो। जिससे वो दोस्ती करके उसका फायदा उठा सके। उसी दौरान उस जंगल में एक बूढ़ा भालू आया था।
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भालू किसी दूसरे जंगल से आया था और यहाँ के जानवरों के बारे में अच्छे से नहीं जानता था। जब इस बात की खबर शेर को लगी, तो उसके कान खड़े हो गए और वो खुशी से झूम उठा। उसे इसी मौके का तो इंतजार था। भालू जंगल में नया था और शेर के मतलबी नेचर के नहीं जानता था। ये शेर के लिए बड़ा अच्छा मौका था। वो भालू का फायदा उठा सकता था।
लेकिन इसके लिए शेर को उस भालू के बारे में अच्छे से जानना था। क्योंकि उसका फायदा उठाने के लिए उसके पास कुछ होना भी चाहिए। इसलिए शेर ने उस भालू का पीछा करना शुरू कर दिया। लेकिन उसको उस भालू में कुछ ख़ास बात नजर नहीं आई और वो निराश होकर लौटने लगा। “आखिर एक बूढ़ा भालू मेरे किस काम आ सकता है?” ये सोंच कर शेर वहां से लौटने लगा।
तभी शेर ने दो बंदरों को आपस में बात करते सुना। जहाँ एक बन्दर दूसरे को बता रहा था कि…”इस जंगल में जो नया बूढ़ा भालू आया है,उसके पास शहद का भण्डार है।” यह सुनकर शेर के मुंह में पानी आ गया,क्योंकि आज तक उसने शहद को सिर्फ दूर से देखा था। शेर ने मक्खियों के डर से आज तक शहद का स्वाद नहीं चखा था। इसलिए शेर के मन में फिर से लालच जगी और वो बूढ़े भालू से दोस्ती करने फिर से निकल पड़ा।
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शेर उस गुफा के पास गया जहाँ भालू रहता था और उसने भालू को देखते हीं उसका पैर छू लिया । यह देख कर भालू चौंक गया और उसने कहा “अरे ! एक शेर होकर भालू के पाँव क्यों छू रहे हो?” तभी उस लालची शेर ने बड़े मतलबी अंदाज में कहा “अरे ! शेर हूँ तो क्या हुआ? आप मुझसे बड़े हैं,बुजर्ग हैं। आपका सम्मान करना मेरा फर्ज है।”
यह सुनकर भालू खुश हो गया और मन हीं मन सोंचने लगा कि “बड़ा संस्कारी शेर है।” लेकिन शेर इतने पर हीं नहीं माना,उसने उस भालू से कहा कि “हमारे जंगल में कोई भी बुजुर्ग जानवर नहीं है, इसलिए मैं आज तक बुजुर्गों की सेवा नहीं कर पाया। मैं आपको अपने घर खाना खाने का निमंत्रण देने आया हूँ। कृपया मुझे अपनी सेवा का मौका दीजिए।” यह सुनकर भालू खुश हो गया और उसने शेर का निमंत्रण स्वीकार कर लिया।
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फिर क्या था? शेर अपने घर आ गया और भालू के आने का इंतजार करने लगा। शेर ने इस लालच से भालू को खाने पर बुलाया था कि,एक दिन भालू भी उसे खाने पर बुलाएगा और उसे शहद खिलाएगा। लेकिन शेर था तो असली कंजूस। जब भालू उसके घर खाना खाने आया,तो उसने केवल एक हीं थाली में खाना निकाला और उसने कहा “हमारे यहाँ एक हीं थाली में मेहमानों के साथ खाना खाने का रिवाज है।” लेकिन शेर उस थाली को भी अकेला हीं चट कर गया और भालू भूखा रह गया।
निराश हो भालू वहां से चला गया और अपने घर के बाहर मुँह लटका कर बैठ गया। तभी वहां एक चिड़िया आई और भालू से उसकी उदासी का कारण पूछा। भालू ने उसे सारी कहानी कह सुनाई। जिसके बाद चिड़िया ने कहा “वो शेर इस जंगल का सबसे मतलबी, लालची और कंजूस जानवर है। जो दूसरों के घर के खाने पर नजर रखता है। जरूर उसकी नजर तुम्हारे शहद पर होगी,इसीलिए उसने तुम्हे अपने घर बुलाया होगा। वो ऐसा सबके साथ करता है।”
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फिर क्या था भालू अब शेर को अच्छे से जान चुका था और उसने भी शेर को अपने घर शहद खाने के लिए बुलाया। शेर अपनी लालच भरी नजरों के साथ भालू के घर आया और शहद का इंतजार करने लगा।
तभी भालू ने अपनी गुफा का दरवाजा बंद कर दिया और मक्खियों भरा शहद का छत्ता शेर को दे दिया। फिर गया था मक्खियों ने शेर को इतना काटा कि, उसका शरीर फुल गया और खुद उसकी शक्ल भालू जैसी हो गई।
शिक्षा (Moral of Story)
इस शेर और भालू की कहानी (Sher Aur Bhalu Ki Kahani) से हमें ये सीख मिलती है कि, चाहे इंसान हो या जानवर एक लालच में पड़े मतलबी प्राणी को इसका फल भुगतना हीं पड़ता है।