Snake And Crow Story दोस्तों बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से पंचतंत्र की कहानी (कौवा और सांप की कहानी) एक ऐसी कहानी थी, जो लगभग सभी को पसंद आती थी।
दोस्तों, वैसे तो आपने कौवों की कई सारी कहानियां (Crow Story in Hindi) सुनी होंगी। जहाँ आपने हमेशा उन दुष्ट कौवों की कहानियां सुनी होगीं, जो हमेशा दूसरे पशु-पक्षियों के साथ गलत करते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे कौवे की कहानी सुनाएंगे, जो एक अच्छा कौवा था और आज उसकी कहानी हम सब के लिए सीख है।
तो यहां हम आपको वहीं Snake And Crow Story (कौवा और सांप की कहानी) बताने वाले है। तो इस Saanp aur Kauwa ki Kahani को अंत तक जरूर पढ़ें।
कौवा और सांप की कहानी – Snake And Crow Story
एक बार एक कौवे का जोड़ा, एक जंगल के सबसे ऊँचे पेड़ की सबसे ऊँची टहनी पर बने एक घोंसले में रहता था। उस कौवे ने इतना ऊँचा घोंसला इसलिए बनवाया था, ताकि वो अपने परिवार के साथ ऊपर सुरक्षित रह सके। कौवा घोंसलें में अपनी पत्नी के साथ रहता था। लेकिन उसके परिवार को बड़ी जल्दी नजर लग गई और उसी पेड़ के ठीक निचे एक सांप ने अपना बिल बना लिया।
सांप बड़ा दुष्ट था और उसकी नजर हमेशा ऊपर रहती थी। तभी एक दिन उसने ऊपर,उस कौवे और उसकी पत्नी के साथ वहाँ से उड़ कर जाते हुए देखा और देखते के साथ हीं वो समझ गया कि हो ना हो ये कौवों का जोड़ा इसी पेड़ के ऊपर रहता है। अगर ये जोड़ा ऊपर रहता है, तो इनका घोंसला भी यही होगा और अगर इनका घोंसला ऊपर है तो फिर ऊपर अंडे भी होंगे।
फिर देर किस बात की थी? उन अण्डों को खाने के चक्कर में सांप उस पेड़ के सबसे ऊँचे हिस्से पर पहुँच गया और उस कौवे के घोंसले को देख कर खुश हो गया। क्योंकि उस घोंसले में कई सारे अण्डे पड़े थे और सांप उन अण्डों को एक-एक करके खा गया।
कुछ देर बाद जब कौवा अपनी पत्नी के साथ अपने घोंसले में वापस लौटा,तो अपने अण्डों को वहां ना देख कर परेशान हो गया।कौवा अपनी पत्नी के साथ अपने अण्डों को खोजता रहा, लेकिन कहीं भी अण्डे नहीं दिखे। जिसके बाद कौवा समझ गया कि हो ना हो किसी जानवर को उसके घोंसले का पता चल गया है और उसी ने उसके अण्डों को खा लिया है।
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लेकिन जब कौवे की नजर उस पेड़ के सबसे निचे गई, वो वहां उसने उसी दुष्ट सांप को देखा और समझ गया कि हो ना हो ये उसी दुष्ट सांप का काम है।
लेकिन अपने शक को पक्का करने के लिए,अगली सुबह वो कौवा अपनी पत्नी के साथ फिर वहां से उड़कर कहीं और जाकर छुप गया। वहीं से छुप कर वो अपने घोंसले की ओर देखने लगा। वहीं दूसरी ओर सांप को लगा कि,कौवा वहां से चला गया है। तो सांप फिर से उसके घोंसले के पास चला गया।
लेकिन जब उसे वहां अण्डे नहीं मिले, तो वो वहां से वापस निचे उतर आया। लेकिन सांप की इस हरकत को दूर बैठे उस कौवे ने देख लिया और समझ गया कि अब उसे उस स्थान को छोड़ना होगा।
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फिर क्या था? कौवे ने अपना नया बसेरा खोजा और उस दुष्ट सांप के चंगुल से बचने के लिए,दूसरे पेड़ पर अपनी पत्नी के साथ जा बसा। इधर शाम हो जाने के बाद जब कौवा वापस नहीं लौटा, तो सांप कुछ समझ नहीं पाया। दिन पर दिन बीतते गए और जब कौवा वापस नहीं लौटा, तो सांप समझ गया कि कौवे ने अपना घोंसला बदल लिया है। इसलिए वो उस कौवे के घोंसले के तालाश में निकल पड़ा और उसे वो पेड़ मिल हीं गया,जहाँ इस बार कौवे ने अपना घोंसला बनाया था।
उसके बाद उस दुष्ट सांप ने फिर से उस पेड़ के निचे अपना बसेरा बना लिया और अगली सुबह कौवे के जाने का इंतजार करने लगा। सुबह हुई जब कौवा अपनी पत्नी के साथ उड़ा, उसी समय सांप भी ऊपर घोंसले की ओर बढ़ने लगा और एक बार फिर उसके अण्डों को खा लिया। जब शाम को कौवा वापस लौटा और जब उसे अण्डे नहीं मिले,तो फिर उसके दिमाग में शक ने घर कर लिया।
कौवा फ़ौरन उस पेड़ से निचे उतर कर आया और जब उसने पेड़ के निचे उस सांप के बिल को देखा, तो समझ गया कि ये उसी सांप का काम है।कौवा अब समझ गया कि, ये सांप ऐसे नहीं मानेगा। इसका कोई परमानेंट सलूशन निकलना पड़ेगा। क्योंकि सांप काफी दुष्ट था और उसके परिवार के पीछे पड़ गया था। अगर इस बार भी कौवे ने घोंसला बदला, तो सांप फिर से उस घोंसले तक पहुँच जाएगा। इसलिए उस दुष्ट सांप को सबक सीखने के लिए,कौवे ने एक तरकीब निकाली।
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कौवा वहां से उड़ कर, एक राजमहल में चला गया और राजकुमारी के कमरे में प्रवेश कर गया। राजकुमारी उस समय तैयार हो रही थी और जैसे हीं राजकुमारी ने अपने कमरे में उस कौवे को देखा,वो डर कर जोर-जोर से चिल्लाने लगी।
राजकुमारी की आवाज सुनकर सैनिक उनके कमरे में आ गए और उधर राजकुमारी की मोतियों की माला अपनी चोंच में दबाकर, कौवा वहां से उड़ गया। तभी राजकुमारी ने सैनिकों को आदेश देते हुए कहा कि “जाओ मेरी मोतियों की माला उस कौवे से छीन कर लेकर आओ।”
आदेश पाते हीं सैनिक उस कौवे का पीछा करने लगे और कौवा जंगल की ओर उड़ता गया। लेकिन सैनिकों ने भी कौवे का पीछा नहीं छोड़ा और वे निरंतर कौवे के पीछे भागते रहे। उसके बाद वो कौवा उड़कर उस सांप के बिल के पास आया और उसके अंदर मोतियों की माला डाल दी।
उसके बाद वहां सैनिक आए और उस माला को निकलने के लिए उस बिल को खोदने लगे। तभी उसमें से वो दुष्ट सांप निकला, जिसको सैनिकों ने अपने तलवार से घायल कर दिया और सांप वहां से हमेशा के लिए भाग गया।
सैनिकों को माला मिल गई और कौवा अपने परिवार के साथ ख़ुशी के साथ रहने लगा।
शिक्षा (Moral of Story)
इस कौवा और सांप की कहानी (The Cobra And The Crow Story) से हमें ये सीख मिलती है कि, हमें कभी भी परेशानियों से भागना नहीं चाहिए, बल्कि उनका डटकर मुकाबला करना चाहिए। अगर उस कौवे ने पहले हीं ये तरकीब निकाल ली होती और उस दुष्ट सांप से बचने के बजाए उसका सामना कर लिया होता तो उसे दूसरी बार अपने अण्डों को गंवाना नहीं पड़ता।