Cap Seller and Monkey Story: बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से पंचतंत्र की कहानी (टोपीवाला और बंदर की कहानी) एक ऐसी कहानी थी, जो लगभग सभी को पसंद आती थी।
दोस्तों, आपने भी हमेशा बुद्धि को महत्व देने वाली कहानियां ही सुनी होगी। जहां अक्सर ताकतवर व्यक्ति पर बुद्धिमान के जीत को दर्शाया जाता है। तो आईए जानते हैं, एक बुद्धिमान व्यापारी और बंदर की ऐसी कहानी जिसे सुनकर आपको अवश्य ही एक गहरी सीख मिलेगी।
तो यहां हम आपको वहीं Topiwala Aur Bandar Ki Kahani (बंदर और टोपीवाले की कहानी) बताने वाले है। तो इस Monkey and cap Seller Story को अंत तक जरूर पढ़ें।
टोपीवाला और बंदर की कहानी – Cap Seller and Monkey Story
दोस्तों, बात बहुत पुरानी है। एक बार एक स्थान पर सुंदर नगर नाम का एक गांव हुआ करता था। उस गांव में वैसे तो अनेकों व्यापारी रहा करते थे। लेकिन मदनलाल उस गांव का सबसे प्रसिद्ध और अमीर व्यापारी था। मदनलाल अपने दिमाग और बुद्धिमत्ता के लिए पूरे गांव में जाना जाता था।
हालांकि मदनलाल खानदानी व्यापारी था। उसके पिता और दादा भी अपने जमाने के मशहूर व्यापारी हुआ करते थे। लेकिन जब मदनलाल बड़ा हुआ, तो उसने अपने खानदानी कारोबार को संभाला। उसने अपने मेहनत दिमाग और बुद्धिमत्ता के बल पर व्यापार में चार चांद लगा दिए। जिससे उनका परिवार दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की करने लगा।
मदनलाल टोपियों का व्यापारी था, पहले उसके दादा और पिताजी एक दुकान पर बैठकर टोपिया बेचा करते थे।लेकिन एक स्थान पर दुकान होने की वजह से केवल कुछ ही ग्राहक उनसे खरीदारी कर पाते थे। इसलिए धीरे-धीरे उनका व्यापार मंदा होता चला गया। लेकिन मदनलाल ने एक नई तरकीब निकाली और उसने दुकान हटाकर जगह-जगह पर जाकर टोपिया को बेचने का फैसला किया। फिर क्या था ? मदनलाल नगर नगर घूम-घूम कर टोपिया बेचता और उससे अच्छे खासे पैसे कमाता।
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इससे फायदा यह हो जाता कि मदनलाल की पहचान हर एक गांव और एक हर एक नगर में बढ़ गई थी। लोग उसे जानने लग गए थे,उसकी टोपिया को पहचानने लग गए थे और इसलिए कोई भी किसी दुकान पर जाकर टोपिया नहीं खरीदता था। बल्कि मदनलाल की ही टोपिया पहनता था।
मदनलाल टोपिया को बेचने के लिए अक्सर अपने घर से दूर-दूर के क्षेत्रों में जाया करता था। कई बार तो वो उन्ही क्षेत्रों में ही रात गुजरता, लेकिन वह कभी भी अपने व्यापार से समझौता नहीं करता। मदनलाल एक पक्का व्यापारी था और व्यापार की अहमियत को समझता था। मदनलाल दूसरों को भी दुकान खोलने के बजाय गांव-गांव घूम कर व्यापार करने की सलाह दिया करता था। लेकिन मदन लाल यह नहीं जानता था कि,उसका गांव-गांव घूम कर व्यापार करने का यह तरकीब एक दिन उसी पर उल्टा पड़ जाएगा।
दोस्तों ! एक दिन की बात है, मदनलाल ऐसे ही टोपिया बचने के लिए किसी दूर के गांव में आया हुआ था। मदनलाल घूम-घूम कर गांव में टोपिया बेचता रहा। उसने खूब सारी टोपिया बेची और खूब सारे पैसे भी कमाए। लेकिन जब दोपहर हुआ तो मदनलाल से दोपहर की गर्मी बर्दाश्त नहीं हुई और वह धूप से बचने के लिए गांव के एक पेड़ की छांव में जाकर बैठ गया।
पेड़ की छांव में बैठा हुआ मदनलाल काफी देर तक इधर-उधर देखता रहा और कुछ चीजों के बारे में सोचता रहा। तभी पेड़ के नीचे बैठे हुए मदनलाल को बड़ी अच्छी ठंडी ठंडी हवा लगी। जिसके बाद मदनलाल ने सोचा कि, क्यों ना यहां एक कपड़ा बिछाकर आराम कर लिया जाए। फिर क्या था ? मदनलाल ने अपनी टोपी की गठरियों में से एक कपड़ा निकाला और नीचे बिछा दिया। उसने अपने टोपी की गठरियों को भी,अपने बगल में रख लिया। ताकि कोई चोर चुरा ना ले जाए।
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इतनी बिक्री के बावजूद मदनलाल के पास अभी कुछ टोपिया बची हुई थी और वह उनको बेचना चाहता था। इसलिए मदनलाल टोपी की गठरियों को अपने बगल में रखकर, पेड़ की इस छांव के नीचे आराम से ठंडी ठंडी हवाएं खाता रहा।
इसी बीच ना जाने कब उसकी आंख लग गई?उसे पता ही नहीं चला। बाद जब मदनलाल की आंख खुली तो उसे काफी अच्छा महसूस हो रहा था। क्योंकि अब उसकी नींद पूरी हो चुकी थी। लेकिन जब मदनलाल ने अपने टोपी की गठरियों पर नजर डाली,तो उसने देखा कि उसकी सारी टोपिया गायब है। वह इधर-उधर देखने लगा, लेकिन उसे कहीं भी टोपिया नजर नहीं आई।
यहां तक की मदनलाल गांव में भी गया, लोगों से पूछा, आसपास के लोगों से पूछा… लेकिन किसी को भी उन टोपिया के बारे में नहीं पता था। लेकिन जैसे ही मदनलाल उस पेड़ के पास लौट कर आया और जब उसने पेड़ के ऊपर देखा तो कई सारे बंदर उसकी टोपिया को पहनकर बैठे हुए थे। जी हां ! दोस्तों मदनलाल की टोपियां को कई सारे बंदरों ने पहन रखा था।
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फिर क्या? मदनलाल बड़ी देर तक बंदरों को इशारा करता रहा कि, उसकी टोपी फेंक दें। पर कहां जानवर इंसानों की भाषा समझने वाले? उन्होंने मदनलाल की बात नहीं मानी।
मदनलाल ने हर एक तरकीब अपनाई लेकिन,उसको टोपिया वापस नहीं मिली। तभी मदनलाल ने गुस्से में अपना पांव पटका और उसने देखा कि,बंदर उसकी नकल करते हुए पांव पटक रहे हैं। तभी मदनलाल ने अपने माथे पर हाथ मारा और उसने देखा कि, बंदर भी उसकी नकल करते हुए माथे पर हाथ मार रहे हैं।
फिर क्या ? मदनलाल ने अपने दिमाग लगाया और सर पर अपनी पहनी हुई एक टोपी को नीचे फेंक दिया। जिसके बाद बंदरों ने भी सभी टोपियों को नीचे फेंक दिया। मदनलाल की तरकीब काम कर गई। उसने सभी टोपियों को समेट कर अपनी गठरी में बांध लिया और वह वापस नगर की ओर टोपिया को बेचने के लिए चल पड़ा।
शिक्षा (Moral of Story)
इस टोपीवाला और बंदर की कहानी (Cap Seller and Monkey Story) से हमें यह सीख मिलती है कि, कठिन से कठिन परिस्थिति में भी अगर हम सूझबूझ के साथ कम करें और सही दिमाग लगाए तो जीत पक्की है।